हमसे पहले हमारे वस्त्र हमारे व्यक्तित्व के परिचायक है। इनके चयन में लापरवाही बरतना उचित नहीं है। कहावत है कि वस्त्रों से व्यक्ति की इज्जत होती है। आपकी वेशभूषा सामने वाले को आपके स्वभाव का परिचय दे जाती है अर्थात अनुभवी नजरें आपके वस्त्रों से आपकी रुचियों, स्वभाव, सुघड़ता यहां तक कि आपके व्यवसाय जैसे गृहिणी, विद्यार्थी इत्यादि को जान जाती है। अत: जब वस्त्र हमारे व्यक्तित्व का इतना महत्वपूर्ण अंग है तो क्यों न इनके चयन में सावधानी बरती जाए।
प्राय: यह देखा जाता है कि फिल्मी आकर्षण से प्रभावित होकर लड़कियां विभिन्न प्रकार की पोशाकें बनवा लेती हैं जो फिल्मी पर्दे पर बेहद मोहक लगती है किंतु हमारे शहर या कस्बाई माहौल में बेहद हास्यास्पद। ऐसे लिबास मनचले लोगों को छेडछाड़ के लिए खुला आमंत्रण देते हैं। जहां तक हो सके इन भड़कीली वेशभूषाओं के मोह से बचे।
बहुत सी लड़कियों के मन में यह धारणा बैठ जाती है कि वे आधुनिक लिबासों में जितनी स्मार्ट लगेगी उतनी सादे या पारंपरिक पहनावों में नहीं। मैं स्वयं कई ऐसी लड़कियों को जानती हूं जो स्कर्ट पहनना इसलिए पसंद करती है क्योंकि बकौल उनके स्कर्ट में वे कुछ ज्यादा कमसिन व स्मार्ट नजर आती है। या सूट पर चुन्नी डालने से वे कुछ डल सी लगती है। यह सरासर गलत है। सलीके के पहने गए सादे वस्त्र भी आकर्षण प्रदान कर सकते हैं। बशर्तें आपका वस्त्र पहनने का ढंग सही हो, जैसे सूती वस्त्रों के कलफ इत्यादि का ध्यान रखा जाए तथा कपड़ों पर पर्याप्त ढंग से इस्तरी की गई हो। फिर कहीं टूटे काज-बटन की जगह पिन न लगी हो। टूटे काज-बटन इत्यादि की अवश्य मरम्मत करें। ये सभी बातें आपकी सुंदरता की परिचायक है। वस्त्र व रंग चयन आपकी कलात्मक अभिरुचि को दर्शाते हैं।
कई लड़कियां समयानुकूल वस्त्रों का चुनाव नहीं कर पाती। वे सार्वजनिक स्थलों व अन्य जगहों में पहने वाले वस्त्रों में विभेद नहीं कर पातीं। सार्वजनिक स्थलों पर जहां चुस्त या कुछ अधिक मॉड वस्त्रों में लोगों की निगाहें आपके शरीर के उभारों से फिसलकर आपको अहसज बनाएं, ऐसे में सूट पर शालीनता से ओड़ा गया दुपट्टा बुद्धिमता का परिचायक है। इसके विपरीत अपनी सहेलियों के साथ पिकनिक या बर्थडे पार्टी, इत्यादि ऐसे अवसर है जब आप पूर्णत: उन्मुक्त होकर वस्त्रों का चुनाव कर सकती है।
इन बातों का अभिप्राय यह कदापि नहीं है कि आप जींस स्कर्ट आदि नवीन परिधान पहनना छोड दें, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका वस्त्र चयन अवसर के अनुकूल है या नहीं। इसके अलावा कई लड़कियां बेहद स्थूल शरीर की होने के बावजूद ऐसे वस्त्र धारण करती है जिन्हें देखकर शर्म महसूस होती है। अत: ऐसे लोगों को चाहिए कि पहले वे अपनी बाडी मेंटेन करें तथा अपने शरीर के हिसाब से वस्त्रों का चयन कर तमाशा बनने से बचें।
अच्छा स्वभाव और सरल मुस्कराहट आपकी सच्ची सुंदरता है, इसे उभारे, ऊंटपटांग वस्त्र पहनकर तमाशा बनने के बजाय शालीन व सौम्य लिबास अपनाएं, इससे आपके व्यक्तित्व की गरिमा बढ़ेगी और तब आपकी की ओर उठने वाली हर निगाह कह उठेगी-
‘इस सादगी पे कौन न मर जाए ए खुदा।
कत्ल करते है मगर हाथों में तलवार नहीं।‘