जुकाम से बचाता है टमाटर का सूप

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टमाटर सब्जी की श्रेणी में माना जाता है किंतु यह रसीला फल हल्का खट्टा मीठा होता है। इसमें विटामिन सी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। चेहरे पर लाली लाता है। यह गले के नीचे जाकर क्षार में बदल जाता हैं यह सब्जी, चटनी, सलाद, जूस, सूप, शरबत सब बनाकर उपयोग किया जाता है। यह प्रोसेस्ड बोतलबंद रूप में भी मिलता है किंतु हाईब्रिड के चलते यह मौसमी न रहकर बारहमासी हो गया है।


यह स्वादिष्ट व पाचक होता है और औषधि गुण धर्म का है। जी मिचलाने, डकार आने, पेट फूलने, मुंह के छाले एवं मसूड़ों में दर्द की स्थिति में टमाटर, अदरक, काली मिर्च व काला नमक से बना सूप दवा का काम करता है इसके गर्मगर्म सूप से सर्दी जुकाम दूर हो जाता है। यह स्फूर्ति लाता है, अतिसार, मोटापा व रक्ताल्पता दूर करता है। मधुमेह की स्थिति में यह दवा है।


गर्भावस्था में मार्निंग सिकनेस

गर्भावस्था में महिला शारीरिक परिवर्तन के अनेकों दौर से गुजरती है। इनके लिए प्रथम तीन माह परेशानी के रहते हैं। पहली बार गर्भवती महिला यह परेशानी ज्यादा अनुभव करती है। गर्भधारण के प्रथम तीन माह के मध्य जी मिचलाने या उल्टी की परेशानी होती है। 50 से 90 प्रतिशत महिलाएं इस बदलाव के चरण से गुजरती हैं।


गर्भवती की परेशानी बढ़ जाए तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि प्रथम तीन माह गर्भ के लिए जोखिम वाले होते हैं। वैसे ऐसे लक्षण वाली गर्भवती को गर्भपात की आशंका कम रहती है। 25 वर्ष से अधिक आयु की महिला गर्भवती हो उसे मार्निंग सिकनेस नहीं हो तो गर्भपात का खतरा उसे बढ़ जाता है।


कोमल होता है शिशु का शरीर

जन्म के उपरान्त शिशु का शरीर अत्यंत कोमल होता है। वह रूई व फूलों की पंखुड़ी के समान कोमल होता है जिसे सावधानी से उठाना व लिटाना पड़ता है। उसकी हड्डियां शैशवावस्था में अत्यंत लचीली होती हैं जो निर्माण के चरण में होती हैं। उन्हें दबाव व चोट से हर हाल से बचाना चाहिए। उनकी त्वचा व हड्डियों को मजबूत होने में कुछ समय लगता है।
शिशु की सावधानी से देखभाल एक वर्ष तक करनी पड़ती है। सिर बड़ा लगता है। इसके बीच में गड्डे का एहसास होता है। उसके सिर की हड्डियां पूरी तरह से जुड़ी नहीं रहती हैं। पहले-पहले शिशु के पैर मुड़े-होते हैं जो बाद में सीधे व मजबूत हो जाते हैं। सतमासा बच्चा या दांतों सहित पैदा बच्चा बुद्धिमान होता है।


सेहत को डेयरी उत्पादों से कम खतरा

वाशिंगटन में डेयरी उत्पादों को लेकर वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए एक शोध के परिणाम ने सबको चौंका दिया है। उन्होंने डेयरी उत्पाद दूध घी को डायबिटीज की स्थिति में लाभप्रद पाया है। उनका निष्कर्ष है अन्य आहारों की तुलना में डेयरी उत्पादों से सेहत को कम खतरा होता है। दूध में एक विशेष प्रकार का एसिड प्लेमिटोलिक पाया जाता है जो एसिड सेवन कर्ता के शरीर में जाकर कोलेस्ट्रोल, इंसुलिन, ग्लूकोज एवं फैट को नियंत्राण में रखता है।
इन शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि दूध और मक्खन खाने से शरीर में चर्बी का खतरा रहता है किंतु डेयरी उत्पादों में से निकलने वाला प्लेमिटोलिक एसिड चर्बी पर तुरंत हमलाकर डायबिटीज के खतरे को कम कर देता है अतएव शोधकर्ताओं के अनुसार जो डायबिटीज से पीड़ित हैं अथवा उससे बचना चाहते हैं वे डेयरी उत्पादों का सेवन कर सकते हैं।


मोटापे को लेकर होती महिलाएं लापरवाह

मोटापा सेहत और सौन्दर्य का दुश्मन है फिर भी साठ प्रतिशत महिलाएं अपने वजन एवं मोटापा बढ़ जाने के प्रति लापरवाह होती हैं। मात्रा चालीस प्रतिशत महिलाएं इसके प्रति जागरूक व सजग रहती हैं। इसी बेफिक्री के कारण साठ प्रतिशत लापरवाह महिलाओं का वजन, मोटापा और कमर का घेरा बढ़ जाता है जबकि इन तीनों का बढ़ना सेहत का बड़ा दुश्मन बन जाता है। औसतन दस में चार महिलाएं डाइटिंग करती हैं।


एक चौथाई महिलाएं हर आधे घंटे के अंतराल में खाने को लेकर सोचती रहती हैं। डाइटिंग करने वाली कुछ महिलाएं मौका मिलने पर चुपके से मनपसंद चीज चाहे वह जंक फूड फास्ट फूड क्यों न हो, उदरस्थ कर लेती हैं। खानपान की नई संस्कृति उनको हर चीज चखने खाने को प्रेरित करती है।


प्रदूषण सबकी उम्र को घटा रहा है

देश दुनिया में सर्वत्रा चहुं दिशा में प्रदूषण बढ़ रहा है। यह प्रदूषण अनेक परेशानियां पैदा कर रहा है। उस सर्वव्यापी प्रदूषण का स्तर सभी जगह एक समान नहीं है। कल कारखानों खदानों के समीप एवं बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है। वनों के समीप यह स्तर कम है। शहर की तुलना में गांवों में कम प्रदूषण है। शहर के बढ़ते प्रदूषण से शहरी लोग सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त हैं। प्रदूषण की बढ़ती विकरालता से सभी भिज्ञ हैं, फिर भी इसके प्रति लापरवाही के चलते समस्या बढ़ रही हैं।


दिमाग रहेगा दुरूस्त

आजकल की प्रतिस्पर्धा के दौर में दिमाग का दुरूस्त रहना जरूरी है। छोटी-छोटी बातें हमारी दिमागी सेहत को प्रभावित करती हैं। समय पर अच्छी नींद लेने से मस्तिष्क कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं। तनाव से बचने से दिमाग नियंत्राण में रहता है। नशा व ड्रिंक्स दिमागी क्षमता कम करते हैं। इनसे बचना चाहिए। पैदल चलने एवं व्यायाम से दिमाग की शक्ति बढ़ती है। फल फूल व सब्जी दिमाग को सचेत रखते हैं। जंक फूड, फास्ट फूड के रसायनों से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। पानी का पर्याप्त सेवन दिमागी सेहत को तरलता के चलते चुस्त बनाए रखता है। पजल व क्विज के खेल से दिमाग को लाभ मिलता है। इसका सामर्थ्य बढ़ता है।