मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन प्रारंभ कर दिया है। वैसे तो प्रशासनिक व्यवस्थाएं बनाना मुख्यमंत्री का अधिकार होता है और हर मुख्यमंत्री अपने राज्य में अपने अनुसार प्रशासनिक व्यवस्थाएं बनाते भी हैं पर मुख्यमंत्री यादव के ये कदम कई मामलों में लोकलुभावन एवं कड़े कदम माने जा रहे हैं। नये मुख्यमंत्री ने आते ही सबसे पहले लाउडस्पीकर और खुले में मांस की बिक्री पर रोक के आदेश जारी किए और उनका पालन सख्ती से करवाया। यह आदेश लोक लुभावन और कड़ा दोनों ही था। खुले में मांस की बिक्री से शाकाहारी महिलाएं परेशान थीं। बदबू और गंदगी के मारे उनका सड़कों पर चलना दूभर था। उस स्थिति में यह आदेश खासतौर पर हिन्दू और जैन परिवारों के लिए लोकलुभावन था तो जब खुले में मांस बेचने वालों पर सख्ती हुई तो उनके लिए यह कड़ा फैसला साबित हुआ। इसी तरह मुख्यमंत्री का दूसरा फैसला रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण करने का आदेश रहा। जहां आम जनता को जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण के लिए महीनों भटकना पड़ता था अब नये आदेश के बाद रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण होगा। यहां भी यह फैसला जमीन खरीदने वालों के लिए तो लोकलुभावन हुआ लेकिन नामांतरण के लिए महीनों लगाने वाले कर्मचारियों के लिए कड़ा फैसला साबित होने वाला है क्योंकि अब महीनों टलने वाला काम उन्हें तुरंत करना होगा। गुना जिले के भयावह बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने फिर एक बड़ा और कड़ा निर्णय लिया यहां मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव और परिवहन आयुक्त से लेकर यहां के एस.पी., कलेक्टर और आर.टी.ओ. को भी हटा दिया। इसी बीच शाजापुर के कलेक्टर किशोर कन्याल ने जब एक ड्राइवर से बदसलूकी की तो उन्हें भी वहां से हटा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री जब कैबिनेट की बैठक में शामिल होने जबलपुर पहुंचे तो वहां के कलेक्टर सौरव सुमन पर धान के उपार्जन केंद्र और गोदाम के निर्धारण के मामले में लापरवाही का आरोप लगा मिला तब मुख्यमंत्री ने उन्हें वहां से हटा दिया और उनकी जगह खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण के संचालक दीपक सक्सेना को जबलपुर का कलेक्टर बना दिया।
जबलपुर और नरसिंहपुर के कलेक्टरों के तबादले के अगले ही दिन मुख्यमंत्री ने सात और आई.ए.एस. अफसरों के तबादले कर दिए हैं। इनमें इंदौर के चर्चित कलेक्टर इलैया राजा भी शामिल हैं जिनसे इंदौर के हिंदू संगठन खासे नाराज है।
मुख्यमंत्री ने उन कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को भी भोपाल का कलेक्टर बना दिया है जिन्होंने पर्यटन विकास निगम में रहते हुए ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति स्थापित करायी थी।
कुल मिलाकर पिछले एक महीने से भी कम समय में मुख्यमंत्री ने जो निर्णय लिए हैं और जिस तरह आई.ए.एस. एवं आई.पी.एस. अफसरों की पदस्थापना की है उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि वे भाजपा के तेज तर्रार हिंदूवादी नेता की अपनी छवि को बरकरार रखते हुए अपनी लोक लुभावन छवि को भी उभारते रहेंगे।