दक्षिण कोरिया का लिंग असंतुलन – महिलाओं की संख्या कम होने से विवाह की संभावनाओं पर असर

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ह्यूस्टन, नौ जनवरी (द कन्वरसेशन) दक्षिण कोरिया का बैचलर टाइम बम दरअसल अब फटने ही वाला है। जन्म के समय पुरुष-से-महिला लिंगानुपात में 30 साल के ऐतिहासिक असंतुलन के बाद, देश में युवा पुरुषों की संख्या युवा महिलाओं से कहीं अधिक है। परिणामस्वरूप, 1980 के दशक के मध्य के बाद से पैदा हुए लगभग 700,000 से 800,000 ‘‘अतिरिक्त’’ दक्षिण कोरियाई लड़कों को शादी के लिए दक्षिण कोरियाई लड़कियां नहीं मिल पाएंगी।

एक जनसांख्यिकी विशेषज्ञ के रूप में, जिसने पिछले चार दशकों में पूर्वी एशियाई आबादी पर व्यापक शोध किया है, मुझे पता है कि दक्षिण कोरियाई लड़कों की इस बढ़ी हुई संख्या का पूरे दक्षिण कोरियाई समाज पर भारी प्रभाव पड़ेगा। संयोगवश, चीन, ताइवान और भारत में भी इसी तरह के रुझान चल रहे हैं।

कारण

अधिकांश देशों में, लड़कियों की तुलना में अधिक लड़के पैदा होते हैं – प्रति 100 लड़कियों पर लगभग 105 से 107 लड़के। जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) लगभग स्थिर है। लिंग असंतुलन संभवतः उस जैविक तथ्य का विकासवादी अनुकूलन है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं। जीवन के प्रत्येक वर्ष में पुरुषों की मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में अधिक होती है। इसलिए 105 और 107 लड़कों के बीच का एसआरबी इस बात का सूचक है कि जब समूह बच्चे पैदा करने की उम्र तक पहुंच जाए तो पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर हो।

1950 में अमेरिका में एसआरबी 105 था और 2021 में भी 105 था; वास्तव में, जब तक एसआरबी डेटा एकत्र किया गया है तब तक यह यू.एस. में स्थिर रहा है। इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया में एसआरबी 1950 से 1980 के आसपास सामान्य सीमा पर था, लेकिन 1985 में बढ़कर 110 और 1990 में 115 हो गया।

1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में ऊंचे स्तर पर थोड़े उतार-चढ़ाव के बाद, यह 2010 तक जैविक रूप से सामान्य सीमा पर लौट आया। 2022 में, दक्षिण कोरिया का एसआरबी 105 था – जो सामान्य स्तर के काफी भीतर था। लेकिन तब तक, आज के विवाह-आयु वाले दक्षिण कोरियाई लोगों के असंतुलन का बीजारोपण हो चुका था।

बेटों को प्राथमिकता

ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से दक्षिण कोरिया का एसआरबी 30 वर्षों तक असंतुलित रहा।

1960 के दशक की शुरुआत में 20 से 30 साल की अवधि में दक्षिण कोरिया में प्रजनन क्षमता में तेजी से गिरावट का अनुभव हुआ। 1960 में प्रति महिला छह बच्चों से, 1972 में प्रजनन क्षमता घटकर चार बच्चों तक रह गई, फिर 1984 में दो बच्चों तक। 2022 तक, दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर गिरकर 0.82 हो गई थी – जो दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर है और जनसंख्या को प्रतिस्थापित करने के लिए आवश्यक 2.1 की दर से काफी नीचे है।

फिर भी, बेटों के लिए दक्षिण कोरिया की लंबे समय से चली आ रही सांस्कृतिक प्राथमिकता उतनी तेजी से नहीं बदली जितनी तेजी से बच्चे पैदा करने में गिरावट आई। कम से कम एक बेटा पैदा करना दक्षिण कोरिया में प्रजनन संबंधी प्राथमिकताओं को प्रभावित करने वाली एक प्रबल इच्छा थी, खासकर 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों तक।

और घटती प्रजनन दर ने एक समस्या खड़ी कर दी। जब महिलाओं के कई बच्चे होते हैं, तो संभावना अधिक होती है कि कम से कम एक लड़का होगा। केवल दो बच्चों के साथ, किसी के बेटा न होने की संभावना लगभग 25% है, और जब महिलाओं के केवल एक बच्चा होता है, तो यह 50% से कम है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि परिवारों में लड़के होते रहेंगे, कई दक्षिण कोरियाई लोगों ने भ्रूण के लिंग की पहचान करने के लिए आसानी से उपलब्ध तकनीकों का सहारा लिया, जैसे गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में स्क्रीनिंग। गर्भपात, जो दक्षिण कोरिया में कानूनी और सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, का उपयोग अक्सर परिवारों को अपने बच्चे के लिंग का चयन करने की अनुमति देने के लिए किया जाता था।

संख्या का खेल

दक्षिण कोरिया में, 1980 के आसपास शुरू होकर 2010 या उसके आसपास तक, लड़कियों की तुलना में बहुत अधिक अतिरिक्त लड़कों का जन्म हुआ। जब ये अतिरिक्त लड़के वयस्क हो जाएंगे और शादी के लिए दक्षिण कोरियाई लड़कियों की तलाश शुरू करेंगे, तो कई असफल हो जाएंगे।

1980 और 1990 के दशक में पैदा हुए अतिरिक्त लड़के अब शादी की उम्र में हैं, और कई लोग शादी करके परिवार शुरू करना चाहेंगे। अगले दो दशकों में कई और लोग शादी की उम्र तक पहुंच जाएंगे।

मैंने गणना की है कि 1980 और 2010 के बीच दक्षिण कोरिया में असंतुलित एसआरबी के कारण, लगभग 700,000 से 800,000 अतिरिक्त लड़के पैदा हुए।

पहले से ही इसका असर उस समाज पर हो रहा है जहां सदियों से वस्तुतः हर किसी से शादी की उम्मीद की जाती थी, और जहां शादी लगभग सार्वभौमिक थी। स्टैटिस्टिक्स कोरिया के हालिया शोध से पता चला है कि 2023 में, 19 से 34 वर्ष के बीच के 36% से अधिक दक्षिण कोरियाई लोग शादी करने का इरादा रखते हैं; यह 2012 में 56% से अधिक की गिरावट है।

विदेशी दुल्हनें

विदेशी मूल की महिलाओं के आप्रवासन से असंतुलन को दूर करने में मदद मिल सकती है। जनसांख्यिकी विशेषज्ञ गाइ एबेल और नायॉन्ग हेओ के शोध से पता चला है कि दक्षिण कोरियाई सरकार की वित्तीय सहायता पहले से ही पूर्वोत्तर चीन से कोरियाई महिलाओं और कुछ कम अमीर देशों, जैसे वियतनाम, फिलीपींस और कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों से विदेशी महिलाओं के दक्षिण कोरिया में आप्रवासन का समर्थन कर रही है।

यदि अतिरिक्त कुंवारे लोग आप्रवासी दुल्हनों से शादी नहीं करते हैं, तो उनके पास अपना जीवन और आजीविका विकसित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। कुछ लोग सियोल और दक्षिण कोरिया के अन्य बड़े शहरों बुसान और डेगू में ‘‘कुआंरों की बस्तियों’’ में बस सकते हैं, जहां व्यावसायिक सेक्स दुकानें अधिक प्रचलित हैं। ऐसी बस्तियां पहले ही अन्य एशियाई शहरों में देखी जा चुकी है जहां पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है, जैसे चीन में बीजिंग, शंघाई और गुआंगज़ौ।

जैविक रूप से सामान्य से अधिक एसआरबी के दक्षिण कोरियाई समाज के लिए परिणाम देश की स्वयं निर्मित समस्या है। 20वीं सदी के मध्य में दक्षिण कोरिया की उच्च प्रजनन क्षमता देश को आर्थिक रूप से पीछे खींच रही थी। प्रति महिला लगभग छह बच्चों की प्रजनन दर को कम करने का इसका कार्यक्रम बेहद सफल रहा। लेकिन इसकी सफलता ही समस्याग्रस्त रही है।

दक्षिण कोरिया की प्रजनन क्षमता में परिवर्तन की गति का मतलब है कि अधिक आधुनिक पारिवारिक मानक संरचना का विकास पिछड़ गया। आज, एसआरबी असंतुलन अतीत की बात प्रतीत होता है। दक्षिण कोरिया में महिलाओं की शिक्षा और रोजगार तक अधिक पहुंच है, और पुरुषों पर कमाई करने का दबाव कम है। 1980 के दशक के अंत में लिंग चयन को कम करने के दक्षिण कोरियाई सरकार के प्रयासों के साथ, लड़कियों की तुलना में लड़कों का प्रीमियम कम हो गया है।

फिर भी बेटों की सहज इच्छा के बावजूद, लिंग असंतुलन से संबंधित दीर्घकालिक सामाजिक मुद्दे, विशेष रूप से विवाह बाजार के संबंध में, आने वाले दशकों तक दक्षिण कोरिया में बने रहेंगे।