भविष्य का भारत बनाने के लिए युवाओं की बात सुननी होगी, उनकी ताकत पर विश्वास करना होगा: शाह

आणंद,  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए युवाओं की बात सुननी होगी, उनकी पसंद को समझना होगा, उनकी आकांक्षाएं कार्य योजना में शामिल करनी होंगी और उनकी शक्ति पर विश्वास करना होगा।

गुजरात के आणंद में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समझ के साथ कई योजनाएं लेकर आए कि केवल युवा ही भविष्य का भारत बना सकते हैं।

भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को याद करते हुए, शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 को निरस्त करना उनको एक श्रद्धांजलि थी, और वह जिस सम्मान के हकदार थे, पिछली कांग्रेस सरकारों ने उन्हें वह नहीं दिया।

शाह ने अपने संबोधन में कहा, “यदि आप चाहते हैं कि एक विकसित भारत साकार हो, तो आपको युवाओं की आवाज सुननी होगी, उनकी पसंद को समझना होगा, उनकी आकांक्षाएं कार्य योजना में शामिल करनी होंगी और युवाओं की शक्ति पर विश्वास करना होगा।”

उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति युवाओं की आवाज सुनना, उनकी पसंद को समझना, उनकी आकांक्षाओं को मंच देना और उनकी शक्ति पर विश्वास करना है। नरेन्द्रभाई इस समझ के साथ कई योजनाएं लेकर आए हैं कि केवल भारत के युवा ही भविष्य के भारत का निर्माण कर सकते हैं।”

शाह ने कहा कि 2012 में राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने और देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने के बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि अगर सरदार पटेल नहीं होते, तो देश का अस्तित्व नहीं होता (जैसा कि अब है)।

उन्होंने कहा, ‘उनके बिना देश का नक्शा बनाना संभव नहीं था।’

उन्होंने कहा, “छात्र कश्मीर और हैदराबाद की समस्याओं के बारे में जानते होंगे, लेकिन अगर जोधपुर, जूनागढ़, हैदराबाद और लक्षद्वीप आज भारत के हिस्से हैं, तो यह सरदार पटेल के कारण है।”

उन्होंने कहा कि मोदी के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के बाद जब उन्होंने ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन किया, तो उन्हें एहसास हुआ कि सरदार पटेल ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को “बड़े दुख के साथ” स्वीकार किया था।

शाह ने कहा, “नरेन्द्र मोदी ने सरदार साहब के सपने को पूरा करने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया।… यह दुख की बात है कि सरदार पटेल के कार्यों को जिस तरह का सम्मान मिलना चाहिए था, वह आजादी के कई वर्षों बाद भी नहीं मिला। कांग्रेस के सत्ता से हटने तक उन्हें भारत रत्न भी नहीं मिला। उन्हें सम्मान देने की हर प्रक्रिया में बाधाएं पैदा की गईं।”