अरिष्टदायक ग्रहों को शुभदायक बनाने के लिए कुछ सरल उपाय

प्रत्येक प्राणी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है ‘यथा पिण्डे तथा ब्राह्मणे’ के अनुसार अरिष्टदायक स्थिति को शुभ मंगलमय बनाने के लिए कुछ सरल उपाय करें तो निश्चित ही हमें शुभदायक परिणाम मिलेंगे तथा जीवन में नए कार्य के प्रति बनायी गयी योजनाओं में लाभ भी प्राप्त होगा। पुण्य कार्य सुफलम् दायकम् हम करें। उपाय सरल एवं सर्वजन हेतु करने योग्य कुछ इस प्रकार हैं-

1. प्रात:काल उठते ही माता-पिता, गुरु एवं वृद्धजनों को प्रणाम नित्य करें तथा उनका आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त करके नित्य सुफल प्राप्त करें।


2. नित्य प्रति गाय को गुड़, रोटी देवें। हो सके तो गाय का  पूजन करके आज के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी, ऐसे भावना करें।


3. नित्य प्रति कुत्तों को रोटी खिलानी चाहिए। पक्षियों को दाना भी डालें तो शुभ है।


4. यदि आपके शहर, गांव के पास तालाब, नदी या सागर हो तो उसमें कछुए और मछलियों को कुछ आटे की गोलियां बनाकर खिलानी चाहिए।


5. नित्य प्रति चील-कौओं को खाने-पीने की वस्तुओं में से कुछ हिस्सा अवश्य डालना चाहिए तथा गौ ग्रास   भी भोजन करते समय नियमित निकालें।


6. घर आये अतिथियों की सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिए तथा उनकी ओर से प्राप्त संदेश ध्यान से सुनकर योग्य संदेश का अनुकरण करना चाहिए।


7. हमेशा प्रात:काल भोजन बनाते समय माता-बहनें एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बृहस्पति भगवान को अर्पित करें तो घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है, इससे अन्नपूर्णा भी प्रसन्न रहती है।


8. प्रात: स्नान करके भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र की पूजा से युक्त दण्डवत नमस्कार करना चाहिए।


9. स्नान के पश्चात प्रात: सूर्यनारायण भगवान को लाल पुष्प चढ़ाकर बार-बार हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए।


10. प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर 

जल + कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगावें और पितृ देवाय नम: भी 4 बार बोलें तो राहु+केतु+शनि+ पितृ दोष का निवारण होता है।


11. प्रात:काल सूर्य के सम्मुख बैठकर एकान्त में भगवत भजन या मंत्र या गुरु मंत्र का जप करना चाहिए।


12. यथा शक्ति कुछ न कुछ गरीबों को दान देना चाहिए।


13. प्रत्येक प्राणी पर दया भाव के साथ तन-मन-धन से सहयोग यथा योग्य करना चाहिए। सेवा कर यश प्राप्ति की भावना नहीं रखें।


14. अमक्ष्य वस्तुओं को कभी ग्रहण नहीं करना चाहिए।


15. सदैव ईश्वर की महान शक्ति पर पूर्ण विश्वास करते हुए जीवन जीना चाहिए तथा अधर्म (हिंसा) से डरते हुए यानी बचते हुए धर्म (अहिंसा) की भावना से मानव मात्र का कल्याण हो, ऐसा चिन्तन होना चाहिए।


16. प्रत्येक प्राणी के प्रति यथा शक्ति दया, स्नेह और सेवा की भावना रखें।


17. रविवार या मंगलवार को कर्ज नहीं लेवें, बल्कि बुधवार को कर्ज लेवें।


18. मंगलवार को कर्ज चुकाना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि संक्राति हो और वृद्धि योग हो अथवा हस्त नक्षत्र हो, तब कर्ज नहीं लेवें।


19. नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अन्तिम रोटी कुत्ते को देवें तो घर में रिद्धि-सिद्धि का आगमन एवं भाग्योदय होगा।


20. पितृ दोष से मुक्ति के लिए नित्य महा गायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें तथा श्री रामेश्वर धाम की यात्रा कर वहां पूजन करें।


21. मातृ दोष से मुक्ति के लिए विष्णु भगवान की पूजा करें, उनकी कथा सुनें, चन्द्रायण व्रत करें और यथा संभव यमुना नदी में स्नान तर्पण करें।


22. दरिद्रता दूर करने के लिए 108 लौंग और 108 इलायची के दाने लें। उन्हें ग्रहण काल में अथवा दीपावली के दिन जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म को देवी-देवताओं की तस्वीर पर लगाकर नित्य दर्शन तथा प्रार्थना करें।


23. यदि पलंग या खाट पर सोते हैं तो प्रात:काल उठते ही पृथ्वी को नमन करें।


24. किसी भी नये कार्य के लिए प्रस्थान से पूर्व मंगलीक (गुड़) का सेवन जरूर करें।