अमेरिका को मिलकर झटका देंगे रूस और चीन, मून मिशन पर दोनों के बीच क्या डील हुई

चीन और रूस की दोस्ती गहरी होती जा रही है. अब दोनों ने मिलकर एक ऐसा प्लान बनाया है, जिसका सीधा असर अमेरिका पर पड़ेगा. स्पेस मिशन के मामले में यह दोनों देशों का दूसरा बड़ा कदम है. पिछले साल ही चीन और रूस ने चांद पर स्टेशन बनाने के लिए समझौता किया था.

चीन और रूस की दोस्ती गहरी होती जा रही है. अब दोनों ने मिलकर एक ऐसा प्लान बनाया है, जिसका सीधा असर अमेरिका पर पड़ेगा. दोनों ने अमेरिका को पीछे छोड़ने के लिए चांद पर बेस बनाने का लक्ष्य तय किया है. अब रूस और चीन मिलकर नया मिशन चलाएंगे. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने इस पर मुहर लगाते हुए चीन के साथ ‘नो लिमिट’ पार्टनरशिप को हरी झंडी दिखाई है. मिशन सफल रहता है तो चांद पर कई बड़े बदलाव नजर आएंगे.

स्पेस मिशन के मामले में यह दोनों देशों का दूसरा बड़ा कदम है. पिछले साल ही चीन और रूस ने चांद पर स्टेशन बनाने के लिए समझौता किया था.

जानिए कैसा है चीन और रूस का नया मिशन

चीन और रूस मिलकर चांद पर ऐसा कंट्रोल सेंटर बनाने की तैयारी में हैं, जहां चीजें पहुंचाई जा सकेंगी. बिजली की सुविधा दी जाएगी और कम्युनिकेशन आसान होगा. इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. पहले चरण में ऐसी जगह तय की जाएगी, जहां इसे तैयार किया जा सके.

अमेरिका को क्यों लगेगा झटका?

अंतरिक्ष में अपना दायरा बढ़ाने के लिए रूस और अमेरिका के बीच हमेशा से ही खींचातानी होती रही है. पहले स्पेस मिशन और फिर रूस-यूक्रेन से जंग में अमेरिका का लगातार यूक्रेन को सपोर्ट करना, पुतिन को नहीं भाया. इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा. चीन और अमेरिका के सम्बंधों में पहले से ही दूरियां हैं. इसलिए अब दोनों देश मिलकर अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी में हैं.

पिछले कुछ समय से रूस अपने स्पेस मिशन में पिछड़ रहा है और अमेरिका नासा के जरिए कई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. ऐसे में रूस अपनी कमजोरी को ताकत में बदलना चाहता है. नया करार ऐसे समय हुआ है, जब दोनों देशों और अपने अमेरिका के बीच खटास है.

कब तक चांद पर तैयार होगा बेस?

चीनी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक लम्बा चलने वाला प्रोजेक्ट है. फिलहाल 2030 तक मिशन का पूरा होना मुश्किल है. इस साल तक भी चांद पर बेस का काम पूरा नहीं हो सकता. इसमें अधिक समय लग सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अमेरिका को कैसे पीछे छोड़ेंगे क्योंकि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अधिकारियों ने दावा किया है कि 2030 तक वो चांद पर अंतरिक्ष यात्री को उतार देंगे और वो लम्बे समय तक वहां रह भी सकेंगे.