दवा उद्योग के नए साल में निरंतर वृद्धि करने की उम्मीद

नयी दिल्ली,  घरेलू दवा उद्योग को बढ़ते हुए गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने सहित विभिन्न चुनौतियों के बीच 2024 में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है।

किफायती जेनेरिक उत्पादों के साथ वैश्विक बाजारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहचाना जाने वाला उद्योग, बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को आगे बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश करने और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने की उम्मीद कर रहा है।

इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ नीतिगत सुधार और भारत की उद्यमशीलता शक्ति का अभिसरण इस क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा देगा। साथ ही यह भारत और वैश्विक स्तर पर मरीजों के लिए उचित गुणवत्ता वाली एवं सस्ती दवाओं की निरंतर आपूर्ति भी सुनिश्चित करेगा।

आईपीए में शीर्ष घरेलू दवा कंपनियां सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, अरबिंदो फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन और ग्लेनमार्क शामिल हैं।

जैन ने कहा कि इस साल सरकार ने फार्मा मेडटेक सेक्टर (पीआरआईपी) में अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय दवा नीति पर दृष्टिकोण पत्र जैसी विभिन्न नीतिगत पहलों की घोषणा की और जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ‘वन हेल्थ’ पर भी जोर दिया।

‘ऑर्गेनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया’ (ओपीपीआई) के महानिदेशक अनिल मटाई ने कहा कि दवा क्षेत्र 2024 में निरंतर वृद्धि और नवाचार के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अगले साल हम सरकार और दवा उद्योग के बीच निरंतर साझेदारी की उम्मीद करते हैं। इससे प्रगति होगी, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और अंततः एक स्वस्थ व अधिक मजबूत समाज विकसित करने में मदद मिलेगी।’’

ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग ने पिछले पांच वर्षों में निर्यात में सालाना आधार पर आठ प्रतिशत की वृद्धि से वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रगति की है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने की हमारी रणनीति के तहत नवाचार और जटिल जेनेरिक विकसित करने पर जोर देने के साथ हम दुनिया भर में मरीजों की बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे।’’

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय दवा क्षेत्र का लक्ष्य 2030 तक 120-130 अरब अमेरिकी डॉलर और 2047 तक 350-400 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का है।

‘मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (एमटीएआई) के चेयरमैन पवन चौधरी ने कहा कि बदलती भू-राजनीति स्थिति तथा वैश्विक रुझानों के साथ भारत में, एशिया में निवेश के लिए पश्चिमी देशों तथा जापान के लिए पसंदीदा स्थान बनने की क्षमता है, अगर देश साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण जारी रखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस क्षेत्र में उच्च सीमा शुल्क और सार्वजनिक खरीद पर प्रतिबंध जैसी बाधा डालने वाले दो व्यवधानों को शीघ्र दूर करने की आवश्यकता है।’’