भारत-रूस संबंधों को सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा भू-राजनीतिक, रणनीतिक आधार: जयशंकर

मॉस्को, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां अपने रूसी समकक्ष और अन्य शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत से पहले कहा कि भू-राजनीतिक और रणनीतिक आधार भारत-रूस संबंधों को सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा।

रूस के नेताओं के साथ बैठक करने के लिए पांच दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे जयशंकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

जयशंकर ने एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मॉस्को पहुंच गया हूं। अपनी बातचीत को लेकर आशान्वित हूं।’’

उन्होंने सोमवार को रणनीतिक विशेषज्ञों के साथ बातचीत की और कहा, “भू-राजनीतिक तथा रणनीतिक आधार भारत-रूस संबंधों को हमेशा सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा।”

जयशंकर ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘रूसी रणनीतिक समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ एक खुली और दूरदर्शी बातचीत। पुनर्संतुलन के महत्व और बहुध्रुवीयता के उभार के बारे में चर्चा की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित ढांचे में भारत-रूस संबंध कैसे विकसित होंगे, इस पर विचारों का आदान-प्रदान किया। कनेक्टिविटी, बहुपक्षवाद, बड़ी शक्ति प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय संघर्षों पर भी चर्चा की। भू-राजनीतिक और रणनीतिक आधार भारत-रूस संबंधों को हमेशा सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा।”

यूक्रेन और मॉस्को के बीच संघर्ष का भारत तथा रूस के बीच संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है तथा ये मजबूत बने हुए हैं। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति एवं बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

जयशंकर का आर्थिक जुड़ाव से संबंधित मामलों पर चर्चा के लिए रूस के उप-प्रधानमंत्री एवं उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से मिलने का कार्यक्रम भी है।

वह द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ भी बातचीत करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा से पहले नयी दिल्ली में कहा, ‘‘समय के साथ परखी गई भारत-रूस साझेदारी स्थिर और लचीली बनी हुई है तथा विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की भावना से रेखांकित है।’’

भारतीय और रूसी पक्ष के द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों पर चर्चा करने की उम्मीद है।

कई पश्चिमी देशों की बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है।