बच्चे बेहद मासूम और भोले होते हैं। उनके मासूम सवाल और बाल सुलभ हरकतें किसी को भी अपनी और आकर्षित कर लेती हैं लेकिन यही बच्चे जब कहना नहीं मानते या फिर कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं तो किसी भी मां-बाप के लिए मुसीबत से कम नहीं होते। आखिर ऐसे बच्चों को कैसे कंट्रोल किया जाए।
बच्चे को अनुशासित करने से पहले उसे सही और गलत व्यवहार के बीच फर्क करना सिखायें। इससे उसमें स्वअनुशासन की भावना विकसित होगी। बच्चे को हमेशा रोकें-टोकें नहीं। ऐसा करने से धीरे-धीरे उस पर आपकी बातों का असर कम हो जाएगा और वह मन ही मन सोचेगा कि मम्मी को तो आदत ही है, हमेशा रोकते-टोकते रहने की। बच्चे को अनुशासित करने के क्रम में आप नकारात्मक के बजाए सकारात्मक तरीके अपनाये। उसे डांटने-फटकारने की जगह प्यार से समझाने का असर ज्यादा गहरा होगा। बच्चे को अनुशासनित करने के लिए आप जो भी नियम बनायें, उस पर हमेशा अडिग रहें तो बच्चे भी उसकी गंभीरता को समझेंगे। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि बच्चे को हमेशा डांट-फटकार कर ही अनुशासित किया जा सकता है। जब आपका बच्चा गलत व्यवहार करे, तब भी आप अपने गुस्से पर नियंत्रण रखें और उसे समझायें कि ऐसा व्यवहार करना ठीक नहीं है। बच्चे को उसकी गलती का अहसास कराना बहुत जरूरी है। आप उसे जरूर बतायें कि उसकी गलत आदतों की वजह से आप उससे नाराज हैं। जब तक उसे अपनी भूल का एहसास नहीं होगा, तब तक उसकी आदत में सुधार नहीं आएगा। अगर बच्चा बड़ों का सम्मान नहीं करता तो उसे समझायें कि यह गलत है।
आप खुद भी अपने बड़ों का सम्मान करें। यह बच्चों के लिए अनुकरणीय होता है। अगर वह आपकी बात नहीं मानता तो सजा के तौर पर उससे कुछ समय के लिए बातचीत बंद कर सकती हैं। अगर आपका बच्चा आपकी अनुपस्थिति में अनुशासनहीन व्यवहार करता है तो इसके लिए उसके साथ थोड़ी सख्ती बरतनी जरूरी है। अब भी वह गलती करने के बाद आपसे झूठ बोले तो आप उसे चेतावनी दे सकती हैं कि दोबारा ऐसी गलती नहीं होना चाहिए, वरना उसे इसकी कड़ी सजा मिलेगी।
यदि आपके लाडले ने कोई अच्छा काम किया है तो आप अपने बच्चे को शाबाशी दें या फिर पुरस्कार देना न भूलें। जब आप उसे अच्छे व्यवहार या काम के बदले में कोई पुरस्कार देती हैं तो इससे उसे महसूस होगा कि मेरे अच्छे काम से मम्मी को खुशी मिलती है, इसलिए मुझे ऐसा ही करना चाहिए।