बांग्लादेश : आम चुनाव से पूर्व सुरक्षा के लिए बीजीबी की 1,151 प्लाटून तैनात, निष्पक्ष चुनाव कराने पर जोर

ढाका। बांग्लादेश ने सात जनवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले देशभर में सुरक्षा के साथ निष्पक्ष एवं स्वतंत्र मतदान सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की 1,151 प्लाटून को तैनात किया। आम चुनाव का मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी)और उसके सहयोगियों ने बहिष्कार किया है। यहां जारी बयान के मुताबिक बीजीबी के जवान शुक्रवार से सात जनवरी को मतदान और उसके बाद कुल 13 दिनों तक पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और सशस्त्र बलों के साथ मिलकर काम करेंगे। 

आमतौर पर, प्रत्येक प्लाटून में लगभग 30 बीजीबी कर्मी होते हैं। अर्धसैनिक बल ने कहा कि 29 दिसंबर से 10 जनवरी तक ढाका सहित देश भर के निर्वाचन क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बीजीबी एक सचल और त्वरित कार्रवाई बल के रूप में काम करेगा। बयान के मुताबिक आगामी आम चुनावों से पहले, उसके दौरान और बाद में कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद के लिए सेना के जवानों को तीन जनवरी से 10 जनवरी तक पूरे देश में तैनात किया जाएगा। बीमार चल रहीं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी सड़क पर चुनाव के खिलाफ आंदोलन कर रही है। 

 

इसके तहत पार्टी ने समय-समय पर हड़ताल और परिवहन नाकाबंदी का आह्वान किया और कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के तहत कोई भी चुनाव निष्पक्ष या तटस्थ नहीं होगा। बीएनपी ने अवामी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ सविनय अवज्ञा का भी आह्वान किया है, और लोगों से देश के संविधान में संशोधन करके चुनाव की निगरानी के लिए एक गैर-पार्टी अंतरिम सरकार की मांग पर दबाव डालने के लिए करों और सरकारी सुविधाओं का शुल्क नहीं भरने का आग्रह किया है। बीएनपी मतदान कराने के लिए एक अंतरिम गैर-दलीय तटस्थ सरकार बनाने की मांग को सरकार द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद से चुनाव का बहिष्कार कर रही है। 

पार्टी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था, लेकिन 2018 के चुनावों में भाग लिया, जिसे बाद में पार्टी के नेताओं ने एक गलती बताया और आरोप लगाया कि मतदान में बड़े पैमाने पर धांधली हुई और उसके उम्मीदवारों और मतदाताओं को धमकाया गया। बीएनपी 29 अक्टूबर से बार-बार देशव्यापी हड़ताल और परिवहन नाकेबंदी कर रही है। मीडिया में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो महीनों में राजनीतिक हिंसा में 11 लोगों की मौत हुई है, 386 वाहनों में आग लगाई गई है और चार रेलगाड़ियां पटरी से उतरी हैं।