सर्दी के मौसम में पुराने स्वेटरों को उधेडऩा, संवारना व बुनना बहुत बोरियत का काम लगता है, यदि अभी से कार्य शुरू कर दें तो उधड़ी ऊनों के नए स्वेटर बनाकर समय का सदुपयोग करने के साथ ही सर्दी के आरंभ में ही बच्चों को नए-नए डिजाइन के रंग-बिरंगे स्वेटर पहनने को दे सकती हैं फिर अभी तो आप विभिन्न पत्र-पत्रिकाएं भी खोज सकती हैं, दूसरों को पहने देखी हुई स्वेटरों की डिजाइनें भी दिमाग में घूम रही होंगी इसलिए अभी आपको सिर्फ यही करना है:-
1. पुराने स्वेटर जो खराब हो गए हैं या छोटे हो गए हैं, उधेड़ डालें। उधेड़ते समय ऊन को कम से कम टूटने दें, ज्यादा जुड़े हुए स्थान को थोड़ी देर भाप में रखिये, जल्दी उधड़ जायेगा।
2. उपयोग में लाने से पूर्व ऊन की लच्छी बनाकर, उन्हें उलझने से बचाने के लिए तीन-चार स्थानों पर किसी ऊन से बांध लें, लच्छी को साबुन के झाग में अच्छी तरह धो लें और सूखने डाल दें। सूखने से पूर्व जब कुछ सीली-सी रह जाये तो उसे प्रेस कर लें और गोले बना लें आपको ऐसी ऊन से बुनने में नया ऊन जैसा ही आनन्द आएगा तथा स्वेटर भी बुनने के पश्चात् बिल्कुल नया-सा ही दिखेगा।
3. यदि आपके पास पुरानी ऊन इतनी नहीं है कि आप जितना बड़ा स्वेटर चाहती हैं वह नहीं बन सकता तो उसमें जितनी आवश्यकता और हो, नई ऊन अभी से खरीद लें। सर्दियों की शुरुआत होने से पहले ऊन सस्ती मिल जाती है।
4. पुराने ऊन का स्वेटर बना रही हैं और ऊन कम हो रही है तो उसमें दूसरे रंग का पुराना ऊन मत लगाइए- बल्कि नया ऊन लगाएं।
अक्सर बहिनें पुराने ऊन में पुराना और नये में नया लगाना पसन्द करती हैं किंतु पुरानी ऊन का स्वेटर बनाते समय उसका बेस, नीचे का बार्डर व सामने की तथा गले की पट्टयां यदि नए विपरीत रंग से बना दी जाएं तो स्वेटर एक दम नया लगता है।