नयी दिल्ली, तोक्यो पैरालम्पिक में कीर्तिमान स्थापित करने वाली अवनि लेखरा को बखूबी पता है कि अगले साल पेरिस में उनसे काफी अपेक्षायें होंगी लेकिन भारतीय पैरा निशानेबाजी की इस ‘गोल्डन गर्ल’ के लिये दबाव प्रेरणा का काम करता है ।
उन्होंने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ मैं यह नहीं कहूंगी कि दबाव नहीं है । तोक्यो में स्वर्ण जीतने के बाद इतने लोग मुझे पहचानने लगे हैं और मेरे लिये तालियां बजाते हैं । अपेक्षायें तो बहुत होंगी लेकिन यह मुझे और बेहतर करने के लिये प्रेरित भी करती हैं ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ इतने लोग मुझसे उम्मीद लगाये हैं तो यह मेरा फर्ज बनता है कि जब भी मुकाबले के लिये उतरूं तो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूं ।’’
जयपुर की रहने वाली लेखरा ने 2015 में पूर्व ओलंपिक चैम्पियन अभिनव बिंद्रा से प्रेरित होकर पैरा निशानेबाजी शुरू की । यूं तो जूनियर विश्व रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया लेकिन तोक्यो पैरालम्पिक ने उन्हें स्टार बना दिया जहां वह एक ही पैरालम्पिक में दो पदक (10 मीटर एयर राइफल स्वर्ण और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस कांस्य) जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी ।
पद्मश्री और खेलरत्न से नवाजी जा चुकी 22 वर्ष की इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ मैं एक समय पर एक ही टूर्नामेंट के बारे में सोचती हूं । मैं अतीत के कीर्तिमानों के बारे में सोचने की बजाय वर्तमान में जीती हूं । इस साल की सारी बड़ी स्पर्धायें खत्म हो चुकी है और अब पूरा फोकस पेरिस पर है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं पेरिस में कई स्पर्धाओं में उतरूंगी । पदक को लेकर कयास नहीं लगा सकती लेकिन इतना ही चाहती हूं कि जब बाहर निकलूं तो यह कह सकूं कि मैने अपना सर्वश्रेष्ठ किया ।’’
अपने अभ्यास के तरीके में भी वह बदलाव करने के पक्ष में नहीं है लेकिन गलतियों से सबक लेकर बेहतर प्रदर्शन पर पूरा ध्यान है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ अभ्यास का तरीका वही है क्योंकि इसी से मुझे सफलता मिली है। मैं अपनी ताकत पर फोकस करके गलतियों से सबक ले रही हूं । उम्मीद है कि पेरिस में प्रदर्शन बेहतर होगा ।’
उन्होंने कहा ,‘‘ फिलहाल तो जयपुर में अभ्यास कर रही हूं लेकिन हमारे शिविर दिल्ली में भी होते हैं । विदेश में अभ्यास के बारे में अभी पता नहीं है लेकिन महासंघ जरूर कुछ प्लान करेगा ।’’
भारत में पैरा खेलों को मिल रही शोहरत और पहचान से खुश लेखरा को पेरिस में समूचे भारतीय दल से रिकॉर्ड प्रदर्शन की उम्मीद है ।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैने भारत में पैरा खेलों और खिलाड़ियों को लेकर नजरिये में आये बदलाव को देखा है । पहले लोगों में इतनी जागरूकता नहीं थी लेकिन अब हमें पहचान मिल रही है । अगर इसी तरह समर्थन मिलता रहा तो भविष्य में कई और उपलब्धियां हम हासिल करेंगे ।’’