आरबीआई विश्व व्यवस्था पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को पहचानते हुए उसका इस्तेमाल बढ़ा रहा है: डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर

बेंगलुरु,  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने कहा कि आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विश्व व्यवस्था के निर्माण में प्रौद्योगिकी की भूमिका को पहचानते हुए केंद्रीय बैंक इसका इस्तेमाल वित्तीय प्रणालियों को कुशल बनाने तथा जनता को प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग से बचाने के लिए कर रहा है।

शंकर ने बुधवार को दूसरे वैश्विक हैकथॉन ‘हार्बिंगर-2023 – इनोवेशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन’ के समापन के मौके पर कहा कि मानव गतिविधियों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इसमें रुचि बढ़ी।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक तथा सभी केंद्रीय बैंक, सरकारें व अन्य प्राधिकरण अचानक प्रौद्योगिकी में रुचि और भागीदारी क्यों दिखा रहे हैं? आरबीआई हैकथॉन में क्यों शामिल है? यह ऐसी चीज नहीं है जिसकी हम पांच साल पहले कल्पना कर सकते थे।’’

शंकर ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि इसका जवाब प्रौद्योगिकी की प्रकृति या प्रभाव में निहित है। अब आप सभी जानते होंगे कि प्रौद्योगिकी मानवीय गतिविधियों को सुविधाजनक बनाती है, लेकिन यह केवल इतने तक सीमित नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी दुनिया में आर्थिक व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था बनाने में भी मदद करती है।

शंकर ने कहा, ‘‘ हम सभी फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) से परिचित हैं, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में वित्तीय प्रणाली को बदल रहा है।’’

उन्होंने कहा कि इसलिए आरबीआई का मकसद खुद को प्रौद्योगिकियों में शामिल करना है.. जिसमें लोगों की वित्तीय भलाई तथा वित्तीय प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने के लिए नवाचार करना, पूर्वानुमान लगाना और सक्रिय रूप से प्रयास करना आदि शामिल है।