मजा किरकिरा न कर दे बेमेल शादी

सफल विवाह हर इंसान का सपना होता है। जैसे ही मन, तन युवा होने लगता है मन आगे की सोचने लगता है। उसमें एक सपना मन माफिक पार्टनर पाने का भी होता है जिसके लिए वो जवानी से ही सपनों का जाल बुनना प्रारंभ कर देता है पर तब तक उसे पता नहीं होता कि यह लड्डू तो वो है जो खाता है, वो भी पछताता है, जो नहीं खाता, वो भी पछताता है। तो क्यों न खा कर पछताया जाए?


सफल विवाह में बहुत बड़ा हाथ अपनी पसंद का पार्टनर मिल जाने का भी होता है। अगर पार्टनर अधिक पढ़ा लिखा हो तो भी सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है। चाहे ऐसे में लव मैरिज हो या अरेंज्ड, मुश्किल तो बाद में आती ही है।


विवाह में उम्र, पढ़ाई, आर्थिक स्तर, स्वभाव, शहरी वातावरण का भी अंदाजा लेकर आगे बात बढ़ानी चाहिए। कभी कभी ऐसे विवाह भी टूट जाते हैं। जैसे बड़े शहर की लड़की किसी छोटे शहर के सैट्लड लड़के से विवाह कर उनके घर जाती है। ऐसे में भी तालमेल बैठाना मुश्किल होता है।


बड़े शहरों का रहन सहन, खुला वातावरण और हर चीज का आसानी से उपलब्ध होना भी आड़े आ जाता है। या इसका उलट छोटे शहर की लड़की मेट्रो सिटी में अपने आपको एडजस्ट नहीं कर पाती। वह वहां का खुला माहौल, वहां का रहन सहन, बात करने का तरीका पहनावा आसानी से एडाप्ट नहीं कर पाती। ऐसी बेमेल शादियां भी बहुत कम सफल हो पाती हैं।


कभी कभी लड़के का सारा परिवार पढ़ा लिखा हो और लड़की स्वयं तो पढ़ी लिखी हो पर परिवार के अन्य सदस्य अधिक न पढ़े हों, ऐसे में तारतम्य बिठाना लड़की के लिए मुश्किल होता है क्योंकि परिवार के सब सदस्यों की नजर उस पर रहती है कि कैसे वह स्वयं को कैरी करती है, कैसे अतिथियों और परिवार वालों से संबंध स्थापित करती है, कैसे काम करती है? कभी कभी वो मेहनत करके उनकी आशाओं तक नहीं पहुंच पाती तो ऐसे में लड़के और परिवार वालों को फ्रस्ट्रेशन होती है। वो भी अपनी लाइफ कम्फर्टेबिली नहीं जी सकती।
कभी लड़का अधिक स्मार्ट हो और लड़की कम, तब भी तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है। लड़की अधिक सुंदर हो और लड़का साधारण हो, तब भी मुश्किल होता है। पतली लड़की मोटा लड़का या मोटी लड़की पतला लड़का सब बेमेल हैं।


घर में पहली बहू साधारण परिवार से हो और दूसरी बहू अमीर परिवार से, ऐसे में परिवार वाले तुलना शुरू कर देते हैं कि उनका घर तो अच्छी कॉलोनी में है, उन्होंने शादी में इतना कुछ दे दिया। बार बार पहली बहू के सामने उसका गुणगान करते रहते हैं। ऐसे में भी लड़की परेशान हो कर अपना गुस्सा अपने पति पर निकालेगी और दोनों में दरार बढ़ती जाएगी।


इसका अर्थ है चाहे लव मैरिज हो या अरेंज्ड, इन सब बातों पर जरूर गौर फरमाएं ताकि बाद के बखेड़े से बचा जा सके। वैसे बेमेल शादी में खाने पीने के स्वादों में अंतर होना जैसे मांसाहारी और शाकाहारी, स्वभाव में इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट होना, धार्मिक विचारों का मेल न खाना, आलसी और चुस्त स्वभाव, सफाई पसंद और नापसंद, टीवी और इंटरनेट के प्रयोग में दोनों की सोच में अंतर का होना आदि छोटी-छोटी समस्याओं पर हम अपने स्वभाव, धैर्य, विश्वास, केअर और प्यार से काबू पा सकते हैं। बस जरूरत होती है समझदारी की।