साज श्रृंगार जरूरी है

विवाह जीवन का सबसे खूबसूरत मोड़ है लेकिन यह भी आश्चर्यजनक सत्य है कि अक्सर इसके बाद पत्नियां अपने सौंदर्य और आकर्षण की उपेक्षा करने लगती हैं। विवाह के समय वधू के हाथों में लगाने वाली हल्दी मानो वधू का पीछा ही नहीं छोड़ती और रसोईघर में मसालों की गंध में लिपटी पत्नी के प्रति पति का आकर्षण धीरे-धीरे कम होने लगता है।
यही वह समय है जब पत्नियों को जीवन का यह शाश्वत सत्य समझ लेना चाहिए कि अगर उन्हें बेतरतीब बढ़ी दाढ़ी और अस्तव्यस्त कुर्ते पायजामा में अखबार से चिपके पतिदेव पर खीज होती है तो उनका भी आपके बिखरे बाल, तुड़ी मुड़ी साड़ी और मसाले पसीने से महकती देह से मुंह मोड़ लेना नितान्त स्वाभाविक है।


पति पत्नी का रिश्ता वफादारी तथा देखभाल के अलावा और भी बहुत कुछ मांगता है जिसके लिए आपको आकर्षक और सुन्दर सलोना दिखना ही चाहिए। थोड़ी सी शोखियां और थोड़ी सी शरारतें आपके वैवाहिक जीवन को स्थायी रूप से मधुमास बना देंगी।


इस दिशा में शुरूआत करने से पहले एक बड़ी ही महत्त्वपूर्ण बात को गांठ बांध लें कि जीवनसाथी को प्रसन्न करने में न तो कोई बुराई है और न ही यह अहम का सवाल है। अगर शादी के बाद आपकी खुशी के लिए वे अपनी प्यारी मूंछों की कुर्बानी दे सकते हैं, आपकी प्रसन्नता के लिए मनपसंद नीली शेड को त्याग कर भूरे और काले शेड के परिधान पहन सकते हैं तो उनकी खुशी के लिये थोड़ा सा स्लिम होकर कभी-कभी उनके मनपसंद आउटफिट को क्यों नहीं पहन सकती।


सुगन्ध सभी को आकर्षित करती है, इसलिये अंतरंग क्षणों में किसी बढ़िया  परफ्यूम अथवा इत्रा का प्रयोग अवश्य करें। सुबह उनके ऑफिस निकलने से पहले उसी सुगन्ध में डूबा एक शरारती सा नोट लिख ब्रीफकेस में रख दें। फिर देखिए, उनकी शाम के साढ़े पांच सीधे घर की देहरी पर ही बजेंगे।


ढीले-ढाले  कपड़े पहनने में अच्छे रहते हैं लेकिन आपके वार्डरोब में चटख रंग और लेटेस्ट फैशन के टाइट्स और हाई हील प्लेटफार्म भी होने ही चाहिए।


आपकी बदली पसन्द केवल पोशाक में ही नहीं, अंतर्वस्त्रों के मामले में भी दिखनी चाहिए जिसका मूलमंत्रा है  ‘जितना आधुनिक, उतना आकर्षक’। पतिदेव को फैशन परेड और फिल्मी मैगजीन घूरने पर क्यों टोकती हैं? हीरोइनों और मॉडलों को तो केवल देखा भर जा सकता है लेकिन असली रानी तो आप हैं। मेकअप केवल करीना कपूर के लिए ही नहीं है। आप भी उसमें उतनी ही अच्छी लगेगीं।


कौन कहता है कि आपकी शादी हुए पांच साल हो जाने का मतलब केवल चूल्हा चौका और परिवार तथा नौकरी की व्यवस्था है। घर कार्यालयों की उलझनों में से थोड़ा समय निकालिये और पतिदेव को मनाकर निकल पड़िये। सनसनीखेज सप्ताहांतों के लिए जरूरी नहीं कि आपका यह ‘मिनी हनीमून‘ किसी हिल स्टेशन अथवा रिसार्ट में ही मनाया जाये। इसकी पहली और आखिरी शर्त है प्राइवेसी।


भरी भीड़ में चुपके से पतिदेव को छेड़ देने की शरारत खूब कामयाब रहती है। जरा सोच कर तो देखिये कि वह रेस्टोरेन्ट में भोजन का आर्डर दे रहे हां और आप कपड़े से ढकी मेज के नीचे अपने पैरों से धीरे-धीरे उनके पैरों पर गुदगुदी कर दें। यकीनन वेटर को वह कुछ की जगह कुछ आर्डर दे जायेंगे।


और खाने के बाद मीठा, ऐसी शरारत करने से पहले घर के फ्रिज में खीर ठंडी करने को रख दीजिये। इन शोखियों के बाद अब भला रेस्टोरेन्ट में ठहरने का समय किसके पास होगा।