अंगूठे के प्रथम पर्व पर एक बारीक रेखाओं का निशान बनता है। यह निशान चक्रए शंखए तंबू और आर्क के आकार के बनते है। यह दोनों हाथों की अंगुली में बनते है।
यदि अंगूठे में चक्र का निशान बनता है तो व्यक्ति को गर्मी ज्यादा लगती है। उसको गर्म चीजों के खाने से परहेज करना चाहिए। चक्र का निशान यदि अंगूठे में हो तो उसे उच्च श्रेणी माना जाता है। इस प्रकार के लोगों को परिवार में ही नहीं बल्कि पूरे समाज में आदर की दृष्टि से देखा जाता है। स्वभाव से भी शान्त प्रिय सबसे मिल जुल कर रहते है। समाज सेवा देश सेवा में बढ़.चढ़कर हिस्सा लेते हैं। जिन व्यक्तियों के अंगूठे और अंगुलियों में चक्र शंख कलश पाए जाते हैं तो यह शुभ चिन्ह होता है। जितनी अंगुलियों और अंगूठे में चिन्ह होगे वो उतनी ही परोपकारी भावनाओं वाला होता है। उसको दूसरे किसी और व्यक्ति की मदद करने में खुशी होती।
सामुद्रिक रहस्य ग्रंथ के अनुसार एक और दो चक्र हो तो शुभकारी होते है वह किसी भी व्यक्ति के बारे में दुर्भावना नहीं रखते। तीन चक्र वालों की विलासी प्रवृत्ति होती है। चार या आठ शुभ नहीं होती। 5 या 6 चक्र वाले कुशाग्र बुद्धि के लिए जाने जाते है। सात चक्र वाले धन धान्य से परिपूर्ण होते हैं। नौ चक्र वाले राजा के समान ऐश्वर्य पूर्ण आरामदेह जीवन जीते है। सत्ता का सुख भोगते हैं। वर्तमान मे उच्चतम पदों पर आसीन होते है
क्रियाशील अंगूठे के साथ में यदि तर्जनी अंगुली के प्राथमिक पर्व पर चक्र हो तो उस व्यक्ति में सेवा कूट कूट कर भरी होती। इस प्रकार का निशान बहुत कम पाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों की माने तो ऐसे व्यक्ति का पिछला जन्म भी मनुष्य योनि था परंतु अनजाने में गलत काम करने पर व्यक्ति को पुनरू जन्म लेना पड़ा।
यदि क्रियाशील अंगूठे के साथ साथ तर्जनी अंगुली में भी पूर्ण निर्दोष चक्र पहले पर्व पर होता है तो व्यक्ति में गुरु ग्रह की भावना आ जायेगी। यदि अंगुली औसत से बड़ी है तो सेवा की भावना तो रहेगी परंतु अहंकार की मिलावट भी होगीए औसत तर्जनी छोटी हैं तो सेवा की भावना कम होती है।