बेटी की तरफ बढ़ाइए दोस्ती का हाथ

ऐसी कई बेटियां हैं जिन्हें उनकी माएं बेहद चाहती हैं मगर उनकी भावनाओं को नहीं समझ पातीं। नतीजा वही होता है-या तो बेटी के कदम अंधेरी राहों की ओर भटक जाते हैं या फिर उसे मां शब्द से घृणा होने लगती है।


बेटी को पूर्णरूप से समझने हेतु उससे दोस्ताना व्यवहार काफी मददगार साबित हो सकता है। उसकी उलझनों, कमियों आदि को आप उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर ही दूर कर सकती हैं।


शासक नहीं, सहेली बनिए

यदि बेटी में कुछ ऐसी कमियां हैं जिनसे उसका भविष्य दुखदायी हो सकता है तो हर वक्त उसकी उन कमियों के लिए उसे डांटने की बजाय प्यार भरे व्यवहार से उन कमियों को दूर करने का प्रयत्न करें। आपका हर पल का व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि बेटी को लगे कि आप सचमुच उसकी दोस्त हैं और वह अपनी हर बात आपके साथ बांट सकती है।
यदि बेटी कोई गलती करने के बाद आपको बता दे तो उस पर नाराज होने की बजाय उसे स्पष्ट शब्दों में उस गलती से होने वाली हानियों से अवगत कराएं। बार-बार यह राग न अलापें कि वह अपरिपक्व है, उसे जिंदगी की समझ नहीं है बल्कि उसे गलती का अहसास कराते हुए यह जताएं कि इतनी समझदार होते हुए भी उससे ऐसी गलती कैसे हो गयी।


उलझनों को दूर करने में सहयोग दें

यदि वह किसी ऐसी उलझन की शिकार है जिसका समाधान आपके पास है तो तुरंत उसकी उलझन को दूर करें। शारीरिक परिवर्तनों से होने वाली परेशानियों से उसे पहले ही अवगत करा दें। उसे इतने हलके अंदाज से यह सब बताएं कि उसे लगे ही न कि वह अपनी मां से बात कर रही है।


समय-समय पर उससे उसकी समस्याओं के बारे में पूछती रहें। यदि उसका अपनी सहेली से झगड़ा हुआ है तो उससे इसका कारण पूछें। यदि दोष आपकी बेटी का ही है तो उसे समझाएं कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था मगर सहेली के दोषी होने पर सहेली को कुछ बुरा-भला कहने की बजाय बेटी से कहें कि वह खुद ही आपसी संवाद से गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश करे।


बेटी से कोई गलती होने पर उसे घर में ही बैठकर समझाएं। यह नहीं कि पड़ोसिनों के समक्ष उसकी सारी दास्तां बयान कर दें। यदि आप नौकरीपेशा हैं और बेटी के साथ कम समय बिता पाती हैं तो भी उससे इस प्रकार व्यवहार करें कि वह आपको महत्त्व दे।
यह ध्यान रखें कि आपकी अनुपस्थिति में बेटी किसके पास अधिक रहती है। यदि वह किसी ऐसी पड़ोसन के पास जाती है जो स्वयं गलत राह की ओर अग्रसर हो तो बेटी को रोकने की बजाय उसके समक्ष उस पड़ोसन की असलियत जाहिर करने का प्रयास करें। इससे बेटी खुद-ब-खुद समझ जाएगी कि उस पड़ोसन का साथ उसके लिए ठीक नहीं है। यदि आप उसे उस पड़ोसन से मिलने से मना करेंगी तो वह आपसे बगावत करने पर उतारू हो सकती है अतः इस मामले में भी सूझबूझ की आवश्यकता है।