इस साल के विधानसभा व अगले साल के लोकसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस!

इस साल के विधानसभा चुनाव कांग्रेस व भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल होगा।लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यो में हो रहे विधानसभा चुनाव में अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुनाव का सेमी फाइनल खेलने में विपक्षी गठबंधन इंडिया जुट गया है।इसी मिशन को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने अपनी जनआक्रोश यात्रा से मध्यप्रदेश में  धमाकेदार एंट्री की है। कांग्रेस इस बार दिल्ली-मुम्बई के चुनावी प्रोफेशनल के सहारे मध्यप्रदेश में अपनी चुनावी धार तेज कर चुकी हैं। चुनावी रणनीति के तहत अब कांग्रेस ने नया पैंतरा खेला है, उसने अपने सारे टिकट रोक दिये है और पूरी भाजपा सूचियों के इंतजार में वेट एंड वाच की स्थिति में हैं। कांग्रेस की तैयारी हैं कि वह कुछ सीटों पर भाजपा के उपेक्षित और टिकट सूची से बाहर कर दिये नेताओं, मंत्रियों व विधायकों को भी चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा का खेला कर दे। तभी तो इस बार कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अपनी सत्ता वापसी की तैयारी पूरे होमवर्क के साथ की हैं।


 इसके लिये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिल्ली-मुम्बई के प्रोफेशनल भी काम पर लगाये है और एक-एक सीट का चुनावी गणित भी समझा दिया है। कांग्रेस के प्रोफेशनल ने कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के साथ ही भाजपा के संभावित उम्मीदवार का डाटा भी एकत्र किया हैं। इसके अलावा उन्होंने भाजपा के मंत्री, विधायक या दिग्गज नेताओ का टिकट कटने पर उन्हें कांग्रेस से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारने पर संभावित परिणामों का भी आंकलन किया हैं। इसी कारण अब कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवारी की सूची रोक ली है और भाजपा की सूचियां जारी होने का इंतजार कर रही हैं। कांग्रेस ने अपने संभावित उम्मीदवारों को बता भी दिया है कि टिकट मिले तो ठीक न मिले तो भी उन्हें संतुष्ट रहना होगा। कांग्रेस की सरकार बनने पर उन सभी का ध्यान रखा जायेगा ,जो टिकट का त्याग करेंगे।इसीलिये पार्टी के प्रति वफादारी को सर्वोच्च प्राथमिकता देंने की नसीहत दी गई है, ताकि सत्ता में कांग्रेस की वापसी हो सकें।


वही छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है। चुनाव प्रचार समिति की पहली बैठक में 90 विधानसभा और 11 लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रभारियों की नियुक्ति की गई है। कांग्रेस ने 11 लोकसभा क्षेत्र में 22 प्रभारियों को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा क्षेत्र में 90 प्रभारियो की नियुक्ति की गई है।  छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में चुनाव प्रचार समिति की बैठक आयोजित की गई ।बैठक में छत्तीसगढ़ चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष चरण दास महंत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज समेत प्रदेश कार्यसमिति के सभी सदस्य मौजूद रहे। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामो की घोषणा से पहले सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने में लगी है। यही कारण है कि असंतुष्ट नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा क्षेत्रो में 22 प्रभारी की नियुक्त किए गए है। रायपुर लोकसभा क्षेत्र में प्रतिमा चंद्राकर और दीपक दुबे, महासमुंद में दीपक मिश्रा और सकलेन कामदार, राजनांदगांव में शहीद खान और पीआर खूंटे, दुर्ग में गिरीश देवांगन और जितेंद्र साहू, कांकेर में रवि घोष और बीरेश ठाकुर, बस्तर में नीना रावतिया और यशवर्धन राव, कोरबा में प्रशांत मिश्रा और द्वितेश मिश्रा, रायगढ़ में वासुदेव यादव और चुन्नीलाल साहू, जांजगीर चांपा में सुमित्रा घृतलहरे और चंद्रशेखर शुक्ला, बिलासपुर में सीमा वर्मा और कन्हैया अग्रवाल, सरगुजा में फूलकेरिया भगत और जेपी श्रीवास्तव को प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी ने जिन्हें प्रभारी बनाया है वह सभी छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और महासचिव पदों पर आसीन हैं।


 राजस्थान में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर सरकार रिपीट करने में जुट गई है। 53 सीटें ऐसी हैं, जो कांग्रेस के लिए पिछले तीन बार से हार का सबब बनी हैं।इनमें 28 सीटें अति कमज़ोर हैं। जिन पर फोकस करके कांग्रेस चुनावी तैयारी में जुटी है, अबकी बार कांग्रेस का बीजेपी से कड़ा मुकाबला होगा और दोनो के बीच कांटे की टक्कर रहेगी।राजस्थान में ‘मिशन रिपीट’ को लेकर कांग्रेस  पूरी तैयारी में है। माना जा रहा कि प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस अगले महीने तक अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार देगी। इसको लेकर कांग्रेस पार्टी की कवायद अब अंतिम चरण में हैं। विधानसभा चुनाव में टिकट  के लिए दावेदारी जता रहे उम्मीदवारों के लिए जिला स्तर पर आवेदन मांगे गए थे। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की बैठक के बाद आवेदन से वंचित रह गए दावेदारो ने जिला स्तर पर भी आवेदन किया हैं। प्रदेश चुनाव समिति के सदस्यों के साथ चर्चा कर प्रत्याशियों के नामों का पैनल तैयार करके पीसीसी को सौंपा जाना है और फिर हाईकमान अंतिम फैंसला करेगा।


टिकट दावेदारों का फाइनल राउंड

दावेदारों के साथ वन टू वन चर्चा करके उनसे पूछा गया कि उन्हें टिकट क्यों दिया जाए? साथ ही कांग्रेस की नीतियों और योजनाओं के बारे में भी पूछा जा रहा है। दावेदारों की संख्या ज्यादा होने के कारण चुनाव समिति के सदस्य भी दावेदारों के इंटरव्यू ले रहे हैं। इंटरव्यू के बाद स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष आवेदन पेश किए जाएंगे। चुनाव समिति प्रत्येक विधानसभा सीट से 3-3 नामों का फाइनल पैनल तैयार कर रही है। इस पैनल के आधार पर ही कांग्रेस हाईकमान प्रत्याशियों को सूची जारी करेगा।


तेलंगाना राज्य में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है।विभिन्न बैठकों का दौर जारी है। तेलंगाना में पिछड़े वर्ग से संबंधित कांग्रेस नेताओं ने एक बैठक की,जिसमे यहां 119 विधानसभा सीटों में से कम से कम 34 सीटें पिछड़ा वर्ग  उम्मीदवारों को दी जानी चाहिए।दावा किया जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है। राज्य में पार्टी की प्रचार समिति के प्रमुख और पूर्व सांसद मधु याशकी गौड़ ने कहा, “पीसीसी अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि आगामी विधानसभा चुनावों में पिछड़ा वर्ग उम्मीदवारों को कम से कम 34 सीटें दी जानी चाहिए।वही बहुजनों की भूमिका के बिना सरकार का गठन नहीं हो सकता।”बैठक में पूर्व मंत्री पोन्नाला लक्ष्मैया, पूर्व सांसद वी हनुमंत राव, तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमिटी  के कार्यकारी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ और आदि उपस्थित रहे। कांग्रेस नवंबर-दिसंबर में यहां होने वाले चुनावों के लिए जी-जान से जुट गई है और वह अब चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया चल रही है।


तेलंगाना इस बार कांग्रेस के लक्ष्य में है। यहां पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। यही वजह है कि पिछले दिनों पार्टी ने वर्किंग कमिटी की बैठक का आयोजन तेलंगाना में ही किया था। यहां पार्टी लगातार मौजूदा केसीआर सरकार को घेर रही है।राहुल गांधी ने  मीडिया से बातचीत में कहा था, “हम तेलंगाना जीत सकते हैं। यहां बीजेपी मुकाबले में भी कहीं नहीं है।”

तेलंगाना विधानसभा में कुल 119 सीटें हैं, इनमें 19 एससी और 12 एसटी वर्ग के लिए रिजर्व हैं।सन 2018 विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में बीआरएस ने 88 सीटों पर जीत दर्ज की थी।अभी बीआरएस यानि भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। तब कांग्रेस ने 19, एआईएमआईएम ने 7, टीडीपी ने 2 और बीजेपी ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी।इसकारण कांग्रेस यहां प्रमुख विपक्षी दल है,जो सत्ता में आने के लिए जीजान से जुटी है।


मिजोरम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में कांग्रेस की लंबे समय तक मजबूत पकड़ रही है जो पिछले कुछ चुनावों से ढीली पड़ती चली गई । मिजोरम के पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 40 में से 5 सीटें ही मिल सकी थीं, जबकि 2013 में कांग्रेस ने मिजोरम में 34 सीटें हासिल की थीं। ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर अपने मजबूत गढ़ को वापस पाने की कोशिश में जुट गई है।इस बाबत बुलाई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल , मिजोरम प्रदेश प्रभारी भक्त चरणदास, प्रदेश अध्यक्ष लाल्सावता सहित वहां के कई बड़े नेता शामिल हुए। कांग्रेस मिजोरम में अपनी वापसी के लिए समाज के अलग-अलग हिस्सों से जुड़े लोगों को अपने साथ लाने की कवायद कर रही है।  मिजोरम में मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए लालनुनमाविया चुआंगो ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। सन1987 बैच के गुजरात कैडर के पूर्व अधिकारी चुआंगो के साथ ही राज्य के जाने-माने टीवी एंकर वन्नेहथांगा वंचावंग और सीनियर जर्नलिस्ट लालरेमरूता रेंथलेई भी कांग्रेस में शामिल हो गए।माना जा रहा है कि इनके जुड़ने से मिजोरम में कांग्रेस वापस मजबूत होगी। फिलहाल प्रदेश में मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में है।


 मीटिंग के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ट्वीट किया था कि मिजोरम के हमारे नेता राज्य में बदलाव चाहते हैं। राज्य को स्थिरता और विकास देने में कांग्रेस का रिकॉर्ड रहा है और प्रदेश के नेता एक बार फिर राज्य में विकास एवं जनकल्याण का एक नया दौर रचने के लिए तैयार हैं। इसके लिए हम वहां हरसंभव कोशिश करेंगे।कांग्रेस की इस बैठक में चुनाव की तैयारियों, रणनीतियों और अहम मुद्दों पर शुरुआती चर्चा हुई थी, आने वाले समय में वहां चुनाव की रणनीति और मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाएगा। बैठक में सुझाव आया था कि अगर कांग्रेस वहां अपने मौजूदा आधार से ऊपर 10 फीसदी वोट पाने में कामयाब हो जाती है तो वह सरकार बनाने की स्थिति में रहेगी। पिछले चुनावों में कांग्रेस को एमएनएफ की तुलना में लगभग आठ फीसदी वोट कम मिला था। एमएनएफ को जहां 26 सीटों के साथ 37.7 फीसदी वोट मिला था तो वहीं कांग्रेस को 29.9 फीसदी वोटों के साथ पांच सीटें मिली थीं। पिछली बार उसे 2013 की तुलना में 14.6 फीसदी वोटों और 29 सीटों का नुकसान हुआ था। बैठक में कहा गया कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस के प्रति लोगों के बीच इमेज बदली है। राहुल गांधी का क्रेज बढ़ा है। प्रदेश नेताओं की ओर प्रचार में राहुल गांधी और खरगे से आने की विशेष मांग की गई थी।जिससे कांग्रेस में नई जान आई है।


 कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में 370 सीटों पर ही अपने प्रत्याशी उतारेगी। लोकसभा की कुल 543 सीटों में से बाकी की 173 सीटों पर वह सहयोगी दलों को समर्थन दे सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह पिछले पांच लोकसभा चुनाव में पहली बार होगा, जब कांग्रेस 400 से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी।


 पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।बेंगलुरु में हुई भाजपा विरोधी 26 राजनीतिक दलों की मीटिंग में इस मुद्दे पर भी बात हुई थी। कांग्रेस अपनी तरफ से खुले दिल से बात और काम करने को तैयार है।कांग्रेस इस बार पिछले कुछ चुनाव की तुलना में कम सीटों पर भी लड़ने को तैयार हैं, ताकि उसके साथी दल यह न सोचें कि उनके जीतने की संभावना का वह ध्यान नहीं रख रही है। लेकिन यह ‘बलिदान’ तब ही संभव हो पाएगा, अगर बाकी दल मिलजुल कर एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम के लिए सहमत हो जाएं।इस बात पर सबको राजी होना होगा कि अन्य विपक्षी दल भी ठीक इसी तरह खुले मन से कांग्रेस  की मदद करेंगे।


 गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे नौ बड़े राज्य, जिनमें 152 लोकसभा सीटें हैं, उन पर भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होनी है। इन प्रदेशों की सीटों पर कोई दूसरी पार्टी कांग्रेस को मदद नहीं कर सकती है।विपक्षी पार्टियों के एक साथ आने के कारण जिन राज्यों में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, उनमें असम, हरियाणा,कर्नाटक, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल है,जहां भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा।


पिछले चुनाव में इन 5 राज्यों की कुल 133 सीटों में से सिर्फ 7 सीटों पर ही कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों को जीत मिली थी। वहीं भाजपा ने 89 सीटों पर जीत दर्ज की थी।अब कांग्रेस ने वह लोकसभा सीटें चिह्नित कर ली हैं जिन पर कांग्रेस कैंडिडेट्स के जीतने की सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं।दिल्ली में सात में से चार सीटें कांग्रेस आप को दे  सकती हैं,दिल्ली में जहां भाजपा का सातों सीटों पर कब्जा है, इस बात पर सहमति बन सकती है कि आम आदमी पार्टी चार सीटों पर लड़े और बाकी तीन पर कांग्रेस को चुनाव मैदान में आए। ठीक उसी तरह पंजाब में कांग्रेस कुल 13 सीटों में से 6 सीटों पर ही अपने कैंडिडेट्स उतारने को तैयार होती नजर आ रही है।


उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 10-20 सीटों की मांग रख सकती है। बाकी बची सीटें समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के कैंडिडेट्स के लिए छोड़ी जा सकती हैं। बिहार में पिछली बार कांग्रेस ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ एक पर ही जीत सकी थी। इस बार कांग्रेस अपने खाते में से 2-3 सीटें राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) को दे सकती है।


 सभी गैर भाजपा दलों के लिए आज करो या मरो की स्थिति है। इनके नेताओं को अपने निजी हित से ऊपर उठकर सोचने का समय आ गया है।


कांग्रेस से जितने नेताओं को भाजपा में जाना था, वो चले गए, पर कांग्रेस अभी भी काफी मजबूत तरीके से अस्तित्व में है। बाकी दलों को तो भाजपा खत्म कर रही है और यह चुनाव उनके अस्तित्व का चुनाव है।


 कांग्रेस के शीर्ष नेता जिनमें सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं, प्रधानमंत्री के पद के लिए अड़े नहीं हैं।


 कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से आगे बढ़ कर दूसरों दलों के हितों के बारे में सोच रही है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि उनको हमारा साथ चाहिए भाजपा सरकार के अधिनियम के खिलाफ राज्य सभा में आवाज उठाने के लिए तो हम तैयार हो गए। जबकि हमारे कुछ सीनियर साथी इसके खिलाफ थे।


इसी तरह हमने खुद से आगे बढ़ कर कह दिया है कि हमें प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं चाहिए। न ही हमें इस गठबंधन का नेतृत्व करना है। बाकी जिस दल का नेता आगे आना चाहता है, उसका स्वागत है। नीतीश, शरद पवार , ममता बनर्जी ऐसे और भी नेता हैं जो इस गठबंधन का नेतृत्व कर सकते हैं।पिछले चुनाव में कांग्रेस 421 सीटों पर लड़ी, 52 पर जीती1999 में कांग्रेस ने 453 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स उतारे थे। जिनमें से 114 जीते थे। 2004 में कांग्रेस 417 सीटों पर लड़ी थी जिसमें से 145 जीती थी, जबकि 2009 में कांग्रेस ने 440 सीटों पर चुनाव लड़ा और 206 सीटों पर जीत मिली थी।वही सन 2014 में कांग्रेस 464 सीटों पर लड़ी और सिर्फ 44 सीटे जीत पाई थी। सन2019 के चुनाव में कांग्रेस 421 सीटों पर लड़ी और 52 पर ही जीती लेकिन इस बार बदलाव होने के आसार है बशर्ते एका रहे।