सुंदरता में चार चांद लगाते हैं नाखून

आपकी सुंदरता की पहचान जहां एक ओर हाथ, पैर, चेहरे, गर्दन, आंख एवं नाक से होती है, वहीं सुंदरता बढ़ाने में आपके नाखूनों का भी काफी योगदान होता है। वैसे पैरों में नाखूनों का उतना योगदान नहीं होता क्योंकि वहां पर लोगों की नजर कम पड़ती है परन्तु हाथों के नाखूनों पर प्रायः सबकी नजरें पड़ती रहती हैं।


महिलाएं प्रायः अपने नख सौंदर्य की ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया करती हैं। इसके दो कारण हो सकते हैं, प्रथम तो जानकारी का अभाव और दूसरा लापरवाही। गंदे, भद्दे, कटे-फटे नाखून आपकी उस पोल को खोल देते हैं जिसे आप छिपाना चाहती हैं। नाखूनों में अगर एक बार रोग अपना घर बना लेता है तो वह सहज ही ठीक नहीं हो पाता।


घर का कामकाज करने वाली महिलाओं को नाखूनों के रोग लगने की संभावना अधिक होती है। कपड़े इत्यादि धोते समय हाथ गीले रहने के कारण नाखूनों की सतह मुलायम और कमजोर हो जाती है जिसके कारण रोग का संक्रमण शीघ्र हो सकता है।
नाखून किरेटिन नामक प्रोटीन से निर्मित होते हैं। यदि आपके शरीर में इस प्रोटीन की कमी आ जाती है तो आपके नाखूनों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। यदि आप भोजन में नियमित रूप से हरी सब्जी, दूध, मांस, अंडे, दही इत्यादि का सेवन करती हैं तो इससे मुक्ति मिल जाती है। नाखूनों की नियमित सफाई नाखूनों को उम्र प्रदान करती है। नाखूनों की सफाई न करने से संक्रमण होने का खतरा बना रहता है जिससे नाखूनों में विकृति अथवा क्षयकारक रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं।


नाखूनों पर आक्रमण करने वाले रोगों को या रोगाणुओं को फंगस कहा जाता है। ये कई तरह के होते हैं। अधिकतर मामलों में छूत के द्वारा ही नाखूनों को हानि पहुंचती है। नाखूनों का फंगस इंफेक्शन कैडिडा समूह के फंगस द्वारा होता है जिसे पैरोनाइकिया और नाखूनों के दाद (रिंगवर्म) के नामों से जाना जाता है।


पैरोनाइकिया को उत्पन्न करने वाला फंगस मल में मौजूद रहता है और नाखूनों की ठीक ढंग से सफाई न होने के कारण यह रोग लग जाता है। इस तरह का इंफेक्शन गृहणियों को प्रायः हो जाता है, कारण, कपड़े साफ करते समय हाथ गीले तो रहते हैं, साथ ही उसमें साबुन डिटर्जेन्ट इत्यादि भी लग जाते हैं। इससे नाखूनों की ऊपरी सतह जिसे ’क्यूटिकल‘ कहा जाता है, कमजोर पड़ जाती है और जगह-जगह से दरार के समान फटने लगती है। रोग उत्पन्न करने वाले फंगस का प्रवेश इसमें आसानी से हो जाता है और नाखून भद्दे होने लगते हैं।


दांतों से नाखून काटते रहने की भी कई महिलाओं की आदत होती है, खास तौर पर उस समय जब वे किसी से बात कर रही होती हैं अथवा उनकी इच्छा के अनुरूप कोई कार्य न हुआ या वे गुस्से में हों। इस आदत से पीछा छुड़ाने का प्रयास करना चाहिए अन्यथा नाखूनों में छिपे फंगस मुंह में चले जाते हैं और गर्भाशय तक पहुंचकर गर्भाशय को भी हानि पहुंचाते हैं। अमेरिका के प्रसिद्ध चिकित्सक सिम वोटंग का मानना है कि 35 प्रतिशत महिलाओं में बांझपन की बीमारी इसी कारण होती है। इतना ही नहीं, स्तनों के ऊतकों पर भी फंगस हानिकारक प्रभाव डालते हैं और स्तन अविकसित रहने के अनेक कारणों में से एक कारण यह भी बन जाता है।
नाखूनों को हमेशा खुरचते रहने अथवा उन पर बार-बार पैडिक्योर या मैनिक्योर करते रहने से भी नाखूनों में इंफेक्शन का खतरा हो जाता है। नाखूनों की कटाई प्रति सप्ताह होनी चाहिए। कभी भी नाखूनों को जमीन आदि पर नहीं घिसना चाहिए। रात में सोने से पहले नाखूनों को हल्के गुनगुने पानी के साथ साबुन से धोकर, अच्छी तरह पोंछकर जैतून का तेल अथवा नारियल के तेल से मालिश करने से नाखून मुलायम, खूबसूरत और चमकीले बने रहते हैं।
नाखूनों को बड़ा करने का शौक महिलाओं में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है यद्यपि यह भी सौंदर्य बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि जिन महिलाओं को बड़े नाखून रखने का शौक हैं, उनके लिए यह आवश्यक है। वे नाखूनों की सफाई की ओर पर्याप्त ध्यान दें। खाना बनाने के तुरन्त बाद नाखूनों के अंदर की गदंगी को साफ कर लें और गीले नाखूनों को नर्म कपडे़ से पोंछ लें।
नाखूनों पर विभिन्न प्रकार की नेल पालिश लगाने का भी चलन आम  है। नेल पॉलिश का चुनाव तो आपको अपनी इच्छानुसार ही करना होगा। वैसे हल्के गुलाबी रंग की नेल पॉलिश हर एक पर अच्छी लगती है। उचित होगा कि आप भिन्न-भिन्न रंग की नेल पॉलिश का प्रयोग न करें। इससे नाखून की मौलिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नाखूनों को सुरक्षित रखने तथा उन्हें खूबसूरत बनाने के लिए निम्नांकित उपायों को करना चाहिए।


 नेल पालिश लगाने से पहले नाखूनों की सफाई अच्छी तरह कर लीजिए तथा सुखाने के बाद ही नेल पॉलिश लगाइए।


अधिक समय तक अथवा बार बार पानी एवं डिटर्जेंट साबुन के घोलों से नाखूनों को बचाइए।


कपड़े, बर्तन आदि धोने के पश्चात हाथों को साफ सूखे कपड़े से पोंछकर उस पर जैतून या नारियल तेल लगा लीजिए।


 कम समय के अंतराल से बार-बार नेल पालिश के प्रयोग से भी नाखूनों को हानि पहुंचती है अतः इसकी अवधि अधिक होना आवश्यक है।


इस प्रकार के नेल पालिश या सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग न करें जिससे त्वचा को एलर्जी हो।


 मधुमेह के रोगियों को बार-बार नाखूनों में इंफेक्शन हो जाया करता है अतः समय-समय पर चिकित्सकीय जांच भी करवाते रहना चाहिए।