आज के जीवन में किशोर हों या वयस्क, सभी का अक्सर तनाव से सामना होता है। तनाव के क्षण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। क्या स्वयं को हम तनावमुक्त कर सकते हैं? जी हां, सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर आप शान्तभाव से उसके कारणों पर चिन्तन-मनन करें तो।
, अपने किशोर होते बच्चे (पुत्र अथवा पुत्री) के आज्ञाकारी न होने पर आप स्वयं में संस्कारों की कमी मानें और सदैव यह प्रयास करें कि आप उनका जैसा व्यवहार अपने साथ चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार आप भी अपने बड़ों के प्रति करें। जो जैसा करता है उसे वैसा ही लौटकर मिलता है, यही जीवन का सत्य है। इसके साथ ही बच्चे और किशोर सदैव अपने बड़ों का अनुकरण करते हैं। वे परिवार में जैसा देखते हैं वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं।
, यदि आप अपने खराब स्वास्थ्य के प्रति निराश और तनावग्रस्त हैं तो नियमित आहार-विहार अपनाएं। निराशा के समय अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें या मनपसन्द संगीत सुनें।
, आर्थिक कष्ट होने पर अपने से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों पर नजर डालें कि उन्हें कितने कम साधन उपलब्ध हैं, फिर भी वे संतुष्ट हैं। ‘संतोषधनÓ से बढ़कर जीवन में और कुछ भी नहीं है। यह हर व्यक्ति को तनावमुक्त रखता है। व्यापार में हानि या तो गलत निर्णय लेने पर होती है अथवा कर्मों का फल समझकर। अपने कार्यों को सही दिशा दें। अपने पारिवारिक कत्र्तव्यों को कभी न भूलें, इससे आप तनाव मुक्त रहेंगे।
, परीक्षा में तनावमुक्त रहने का सबसे बढिय़ा उपाय है, वर्ष भर नियमित रूप से अध्ययन करते रहना।
, नौकरी न मिल पाने पर हताश, निराश और तनावग्रस्त रहने की बजाय अपनी कमियों की ओर देखें। निरन्तर प्रयास जारी रखें और कड़ी मेहनत के साथ दृढ़ विश्वास रखें।
, अफसर या बॉस की नाराजगी पर शान्त भाव से पहले अपनी गलतियों को समझें, ताकि भविष्य में उनकी पुनरावृत्ति न होवे।
, जीवनसाथी से मन-मुटाव की स्थिति में जो जैसा है, उसे उसी प्रकार स्वीकार करना सीखें। छोटी-छोटी बातों को तूल देकर ‘प्रतिष्ठाÓ का प्रश्न न बनायें। मन-मुटाव की स्थिति में भी वह आपको प्यार करते हैं, यह स्मरण रखें।
, मित्रों और संबंधियों द्वारा आपकी बात का समर्थन न किए जाने पर ध्यान रखें कि यह आवश्यक नहीं है कि जिस बात को आप सही समझते हैं, वह दूसरे को भी सही लगे ही। उनके न कहने पर आप तनावग्रस्त होकर अपने व्यवहार को प्रभावित न करें। शान्त रहकर सोचें।
, जब कभी आप तनावग्रस्त हों, दूसरों की गलतियों पर ध्यान देने की बजाय अपने में कमजोरियों को ढूंढऩे का प्रयास करें। ईश्वर में विश्वास बनाए रखें। असफलताओं और बुरे दिनों को सच्चाई से स्वीकारना सीखें। सदैव अच्छे के लिए प्रयास करें किन्तु बुरे के लिए भी हमेशा तैयार रहें। दूसरों की भलाई के कार्य करते रहें और सभी की शुभकामनाएं साथ पाकर तनावमुक्त हो जाएं।
, बोलें तो मधुर और सकारात्मक बोलें वरना चुप रहकर सामने वाले को जीत लें। बोलने से पहले सोचें। स्थान के अनुरूप बोलें और उचित सम्बोधन कर बोलें। सरलभाषा व स्पष्टï उच्चारण से बोलें, संक्षिप्त बोलें। अच्छा वक्ता बनने से पूर्व अच्छा श्रोता बनें। आत्मप्रशंसा से बचें। स्नेहपूर्वक संवाद बनाये रखें, क्रोध न करें। बोलते समय सामने वाले की आंख से आंख मिलाकर बात करें, न कि सिर नीचा कर अपनी बात कहें।
, किसी के व्यक्तिगत मामले में दखल न दें।
, तटस्थ रहकर सबको जीता जा सकता है। ‘मौनÓ सर्वश्रेष्ठ औषधि है, अत: बढ़ते तनाव में मौनधारण कर लें।