डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून पर विचार के वास्ते समिति बनाने का फैसला देर से लिया गया: अशोकन
Focus News 16 August 2024नयी दिल्ली, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रमुख डॉ. आर वी अशोकन ने शुक्रवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून पर विचार-विमर्श के लिए समिति बनाने का स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्णय ‘‘बहुत कम है और बहुत देर से लिया गया’’ फैसला है क्योंकि इस मामले पर कानून लाने के लिए सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।
देश भर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने कोलकाता के आर जी कर सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और उसकी हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया तथा चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग की।
अशोकन ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सरकार यह स्वीकार करने की इच्छुक नहीं है कि डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ हिंसा हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आप वास्तविकता से नहीं भाग नहीं सकते।’’
आईएमए प्रमुख ने रेखांकित किया कि एक मसौदा विधेयक है जो हितधारकों के परामर्श के बाद 2019 में तैयार किया गया था लेकिन यह कभी संसद में नहीं आया।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की सोच है कि विधेयक की संभावना को देखने के लिए इसे एक विशेषज्ञ समिति के पास भेजा जाए, लेकिन यह बहुत कम होगा और बहुत देर हो चुकी होगी। क्योंकि, सबकुछ अपनी जगह पर है। बटन दबाने (कानून बनाने) के लिए केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।’’
अशोकन ने उदाहरण दिया कि कैसे कोविड-19 महामारी के दौरान महामारी रोग अधिनियम, 1897 को एक अध्यादेश द्वारा संशोधित किया गया था और संशोधित अधिनियम 24 घंटे के भीतर लाया गया था तथा बाद में संसद ने इसे 2023 में पारित कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की थी। हमने उन्हें बताया कि चिकित्सा पेशे में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं हैं और इसका बढ़ना तय है। उनकी सुरक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। मुझे स्वास्थ्य मंत्री पर पूरा भरोसा है, जो स्थिति के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति भी आएगी, यह मेरा भरोसा है।’’
कोलकाता की घटना के पीड़ित परिजनों और आंदोलनकारी डॉक्टरों से मुलाकात करने वाले आईएमए प्रतिनिधिमंडल के बारे में उन्होंने कहा कि मृतक महिला के परिवार के सदस्यों ने उन्हें बताया कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने उन्हें तीन घंटे तक इंतजार कराया और फिर उनसे मुलाकात भी नहीं की।
अशोकन ने कहा, ‘‘यहां तक कि फोन पर जो सूचना दी गई, वह भी कई घंटे देर से दी गई। उन्होंने बताया कि उन्हें संस्था के प्रमुख से नहीं मिलने दिया गया… यह असामान्य है। आम तौर पर, हम उन्हें सांत्वना देने के लिए किसी भी दायरे से परे जाते हैं। तर्क से मेल न खाने वाली चीजों को देखकर तो यही लगता है कि घटना में (सिर्फ बलात्कार और हत्या के अलावा) कुछ और भी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक अपराधी पकड़ा गया है। पोस्टमॉर्टम में सामने आईं चोटें हमें अपराध की हिंसक प्रकृति दिखाती हैं… यह किसी एक व्यक्ति द्वारा संभव नहीं है। ऐसे अपराधी हैं जो आसपास घूम रहे हैं लेकिन पेशेवर जांच सीबीआई द्वारा की जाएगी।’’
मामले की जांच सीबीआई द्वारा अपने हाथ में लिए जाने और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से यह कहते हुए आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किए जाने पर कि उनकी मांगें पूरी हो गई हैं, अशोकन ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर डरे हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे डरे हुए हैं। अतिरिक्त सुरक्षा और बुनियादी ढांचे में बदलाव के बिना, उन गलियारों पर कौन चलेगा? वहां दोबारा कौन जाएगा और आप आधी रात की ड्यूटी कैसे कर सकते हैं? डॉक्टरों से ज्यादा नर्स डरी हुई हैं और वे हर जगह विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं।’’
अशोकन ने नए कानूनों, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और अस्पतालों में सुरक्षा तैनाती की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों की देखभाल प्रभावित होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘लोग समझते हैं कि हम केवल डॉक्टरों के अधिकारों के लिए नहीं लड़ रहे हैं। हम इस देश की बेटियों के लिए भी समान रूप से लड़ रहे हैं। यह एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जो आगे बढ़ रहा है। हमने आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से परे रखा है।’’
विरोध प्रदर्शन कब तक जारी रहेगा, इस पर अशोकन ने कहा, ‘‘अभी, हम दैनिक आधार पर आह्वान कर रहे हैं। अगले हफ्ते, हम शहर-शहर जाएंगे, हम गांवों में जाएंगे, सांसदों और विधायकों से मिलेंगे तथा एक मजबूत राय बनाएंगे जो सरकार पर दबाव बनाएगी। सरकार संवेदनशील है और हम अच्छे नतीजों की उम्मीद कर रहे हैं।’’
आईएमए ने शनिवार सुबह 6 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक 24 घंटे के लिए देश भर में गैर-आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को बंद रखने की घोषणा की है।