मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में समावेशी नीतियों, सामाजिक प्रगति पर प्रकाश डाला

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नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को समावेशिता और सामाजिक प्रगति को लेकर देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया तथा हाशिए पर पड़े समुदायों के सम्मान एवं अधिकारों से जुड़ी कई प्रमुख पहलों पर जोर दिया।

मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए दिव्यांगजन के लिए सुगम्यता में सुधार लाने की दिशा में देश के प्रयासों का जिक्र किया तथा कहा कि सांकेतिक भाषा और सुगम्य भारत अभियान पर सरकार का ध्यान केंद्रित करना इन समुदायों की गरिमा के प्रति सरकार के गहन सम्मान को दर्शाता है।

उन्होंने पैरालंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी सफलताएं प्रत्येक भारतीय की शक्ति और क्षमता को दर्शाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब पैरालंपिक में हमारे एथलीट अपनी नयी ताकत का प्रदर्शन करते हैं, तो यह हमारी सामूहिक भावना की शक्ति को दर्शाता है।’’

प्रधानमंत्री ने ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए कार्यों पर भी प्रकाश डाला तथा समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हाल में किए गए विधायी परिवर्तनों का उल्लेख किया।

उन्होंने अधिक समावेशिता की दिशा में परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा, ‘‘ट्रांसजेंडर समुदाय के संबंध में लिए गए हमारे निर्णय और नए कानून उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।’’

महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए मोदी ने सवैतनिक मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सवैतनिक मातृत्व अवकाश का विस्तार केवल महिलाओं के सम्मान के लिए ही नहीं किया गया, बल्कि इस निर्णय को यह सुनिश्चित करने के लिए सोच-समझकर लिया गया है कि मां की देखरेख में बच्चा एक आदर्श नागरिक बने।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम कामकाजी माताओं और उनके बच्चों की सहायता के लिए एक करुणाशील और संवैधानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।