
मानव जीवन में प्रचलित सात सुखों में से सबसे पहला सुख निरोगी काया का होता है। स्वस्थ तन के लिए योग करना बेहद जरूरी है। योग से निरोगी काया मिलती है,ये तो हम सभी को पता है लेकिन तन के साथ-साथ मन की तंदुरुस्ती के लिए भी योग बहुत जरूरी है। योग बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक के लिए फायदेमंद होता है। इससे शरीर को मजबूत मिलती है तथा शारीरिक और मानसिक दिक्कतें दूर होती हैं। योग करने से कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही हमारी कई छोटी-मोटी दिक्कतें बिना डॉक्टर के पास योग के जरिए कंट्रोल की जा सकती हैं। जिस प्रकार दिनों-दिन लोगों की जीवनशैली में बदलाव आता जा रहा है. ऐसे समय में जरुरत है कि हमें उचित प्रकार से जीवन जीने की कला सीखनी होगी और यह सब योग को अपनाकर संभव हो सकता है।
भारतीय संस्कृति एवं दर्शन में योग का महत्वपूर्ण स्थान है। सामान्य अर्थों में योग का अर्थ जोड़ना होता है, जोकि संस्कृत के युज धातु से बना है। वास्तव में योग वह साधन है जिसके द्वारा शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन स्थापित किया जाता है। यही नहीं, योग शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है। योग का उद्देश्य काफी व्यापक है अर्थात हमारे जीवन का समग्र विकास करना है। उद्देश्य की दृष्टि से देखें तो योग का उद्देश्य शरीर शुद्धि, चित्त शुद्धि, चरित्र निर्माण, अपने ध्यान को केंद्रित करना, आध्यात्मिक विकास करना, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करना आदि है। योग भारतीय संस्कृति की वह शैली है जो हज़ारों वर्षों पुरानी है। पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र, योग से सम्बंधित एक अति प्रसिद्ध ग्रंथ है। वैदिक सभ्यता में तो साक्ष्य स्वरुप योग मौजूद है ही साथ ही बौद्ध एवं जैन दर्शन में भी इसका उल्लेख मिलता है।
योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना की। इसलिए महर्षि पतंजलि को योग का जनक यानी पिता माना जाता है। योग की परंपरा भारतीय समाज में हजारों सालों से है। बता दें कि योग को भारत में करीब 26 हजार साल पहले की देन माना जाता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना से पहले से भारतीय संस्कृति में शिव को पहला योगी माना गया है। माना जाता है कि योग विज्ञान की नींव शिव की ही देन है। कहते हैं कि शिव ने ही मनाव मन में योग का बीज बोया। कहते हैं कि शिव ने सात तपस्वियों को गुरू पूर्णिमा के दिन आदि गुरु के रुप में दर्शन दिया व उनके गुरु बने। इस तरह शिव आदि गुरु बने, जिन्हें लोग आदि योगी शिव के नाम से भी जानते हैं। योग व्यक्ति के शरीर, मन, भावना और ऊर्जा के स्तर पर काम करता है।
इसने योग के चार व्यापक वर्गीकरणों को जन्म दिया है। जिनमें कर्म योग, जहाँ हम शरीर का उपयोग करते हैं। भक्ति योग, जहाँ हम भावनाओं का उपयोग करते हैं। ज्ञान योग, जहाँ हम मन और बुद्धि का उपयोग करते हैं। और क्रिया योग, जहाँ हम ऊर्जा का उपयोग करते हैं। योग प्राचीन भारतीय दर्शन एवं संस्कृति की समूचे विश्व को एक अनुपम देन है योग के लाभ के बारे में आज पूरा विश्व समुदाय जान और समझ रहा है। योग के प्रति देश और दुनिया को जागरूक करने के लिए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के इतिहास पर गौर करें तो
पता चलता है कि विश्व योग दिवस का विचार भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया था। योग की सार्वभौमिक अपील को पहचानते हुए, उनके प्रस्ताव को 177 सदस्य देशों से रिकॉर्ड समर्थन मिला।
पहली बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इस दिन देश की राजधानी दिल्ली में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ था। जिसमें 35 हजार से अधिक लोगों ने एक साथ योग किया और 84 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे। भारत के साथ समूचे विश्व में इस दिन करोड़ों लोगों ने एक साथ योग किया, जो कि एक रिकॉर्ड था। भारत ने भी विश्व रिकॉर्ड बनाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया। यही वजह है कि वर्तमान में भी भारत के साथ-साथ योग को समूचे विश्व में शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है। भारत में योग की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने योग के माध्यम से ध्यान, समाधि और आत्मज्ञान प्राप्त किया।
इसके बाद में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। योग का जादू, शरीर ही नहीं, मन को भी सुकून देता है। जानकारों का कहना है कि 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होता है जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। योग के दृष्टिकोण से यह दिन आध्यात्मिक रूप से बहुत शक्तिशाली माना जाता है। इसीलिए इस दिन पूरे विश्व में योग करने का संदेश फैलाने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल योग दिवस की थीम ‘योगा फॉर बन अर्थ, वन हेल्थ’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योगा’ तय की गई है। अपने मन की बात के दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि योग के जरिए हमारा मकसद पूरे विश्व को स्वस्थ करना है। हमारा बिगड़ता स्वास्थ्य आज हमारे लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। निरंतर भागदौड़ भरी ज़िन्दगी, तनाव, बढ़ते प्रदुषण, खान-पान की गलत आदतों के कारण हमारा शरीर कई प्रकार के रोगों का घर बनता जा रहा है। ऐसे में योग के माध्यम से ही हम निरोग रह सकते हैं।