अंतरिक्ष यात्रा में धरती पर लौटना सबसे रोमांचकारी हिस्सा, लगा था कि यह संभव नहीं होगा: राकेश शर्मा

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने सोमवार को कहा कि सोयुज अंतरिक्ष यान से धरती पर वापस आना उनकी अंतरिक्ष यात्रा का सबसे रोमांचकारी अनुभव था और एक पल के लिए उन्हें लगा कि वह सुरक्षित वापस नहीं आ पाएंगे।

शर्मा ने ‘ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद’ तथा संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘युवा सभा 2047: भारत के भविष्य को आकार देना’ कार्यक्रम में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अपने अनुभव साझा किए।

शर्मा ने पिक्सल स्पेस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अवैस अहमद के साथ बातचीत में कहा कि वह अपनी अंतरिक्ष यात्रा के प्रक्षेपण चरण को लेकर चिंतित नहीं थे, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित था।

उन्होंने वापसी की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए कहा, ‘‘धरती पर लौटना ज्यादा रोमांचक था, क्योंकि मुझे लगा कि मैं सफल नहीं हो पाऊंगा…तभी पैराशूट खुला और अंदर बहुत जोर से आवाज आई, जिसके लिए हम तैयार नहीं थे।’’

शर्मा को जनवरी 1982 में सोवियत इंटरकोस्मोस मिशन के लिए चुना गया और उन्होंने तीन अप्रैल 1984 को बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरी। उन्होंने अंतरिक्ष में सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए और 11 अप्रैल को धरती पर लौट आए।

उन्होंने सोयुज अंतरिक्षयान के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पल को याद करते हुए कहा, ‘‘धातु का छल्ला अंतरिक्षयान के हुक से रगड़ खाता है और इसकी घंटी के आकार की वजह से, आवाज अंदर से बढ़ जाती है। मुझे यकीन था कि पैराशूट अलग हो जाएगा और बाकी की यात्रा उड़ान की तरह होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’

अंतरिक्ष यान की उड़ान के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष शटल प्रणाली से अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर देखने मौका था, जबकि रूसियों ने पूरे रॉकेट को आवरण से ढक दिया था, जिससे बाहर देखने का कोई अवसर नहीं बचा।

शर्मा ने कहा, ‘‘आप कंपन महसूस करते हैं जो इंजन की तरफ से आता है और गुरुत्व बल लगातार बढ़ता रहता है। इसलिए, लॉन्च विशेष रूप से चिंताजनक नहीं था, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित था।’’

पूर्व अंतरिक्ष यात्री ने कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं को अमेरिकी खगोलशास्त्री और ‘साइंस कम्युनिकेटर’ कार्ल सागन की कृतियां पढ़ने की सिफारिश की। शर्मा ने कहा कि सागन ने ‘‘अवलोकन प्रभाव’’ को मूर्त रूप दिया, जिसका मतलब है कि अंतरिक्ष से धरती को देखने पर अंतरिक्ष यात्री संज्ञानात्मक बदलाव का अनुभव करते हैं।

भारत इस साल के अंत में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘एक्सिओम’ के साथ संयुक्त मिशन के तहत अपने अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है।

भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन-4 के लिए ह्यूस्टन में प्रशिक्षण ले रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए कंपनी का चौथा वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है।

भारत ने अगले वर्ष अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजने के लिए गगनयान मिशन की भी घोषणा की है।