आधुनिक युग में रिश्तों की डोर ,हो रही दागदार

Relationship

पिछले दिन इंदौर के राजा रघुवंशी का हनीमून ट्रिप पर जिस तरह बेदर्दी से कत्ल किया गया, वह एक नवविवाहित पत्नी द्वारा अबतक का किया गया जघन्य अपराध था। एक महिला जिसकी दस दिन पहले शादी हुई, वह ऐसे घृणित अपराध को अंजाम दे सकती है, ये सभ्य समाज में समझ से परे है। दरअसल इसमें जिसका सबसे बड़ा कसूर है ,वह सोनम के माँ- बाप हैं। सोनम के माँ बाप को पता था कि सोनम उसके पिता के कार्यालय में काम करने वाले नौकर से प्रेम करती है. इसके बावजूद उन लोगों ने जबरदस्ती सोनम का विवाह राजा रघुवंशी से इसलिए किया कि वह उनके जाति और समाज का था।
आज भी समाज में अपने बिरादरी में शादी करने की नाकाम कोशिश जारी है।आज जब लड़कियाँ जिस तरह हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं, उससे उनके सोच और जीवन शैली में भी परिवर्तन हो रहा है।अब हम पुराने जमाने की तरह लड़कियों को खूंटे से नही बांध सकते । दरअसल प्रेम हर जमाने में होता रहा है। लड़को और लड़कियों में युवा अवस्था में आकर्षण होना स्वाभाविक लक्षण हैं। पहले भी प्यार होता था लेकिन अधिकांश मामलों में जब लड़की की शादी एक जगह हो जाती थी तो वह पुराने प्यार को भुलाकर अपनी नई जिंदगी की शुरूआत अपनी किस्मत को कोसते हुए कर लेती थी। शायद ही कोई लड़का या लड़का ये कहे कि उनके दिल में किसी के लिए चाहत नहीं होगी। स्त्री पुरूष की रचना प्रकृति ने इसीलिए की है कि उनके बीच आकर्षण बना रहे और प्रजनन की क्रिया सदैव चलती रहे।

आज जब राजा रघुवंशी का कत्ल हुआ तो लोग उसके पीछे की वजहों को नहीं जानना चाहते। कोई भी लड़की ऐसा कदम क्यूँ उठाने पर मजबूर हुई इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण जरूर होना चाहिए। जब सोनम के माता पिता ने सोनम को अपनी मर्जी से शादी नहीं करने दी तो सोनम ने मजबूर होकर ये कदम उठाया। सोनम की शादी तो जरूर हो गई लेकिन उसने अपने पहले प्यार के लिए अपनी पवित्रता बचा कर रखी। वह राजा रघुवंशी के साथ हमबिस्तर नहीं हुई। उसने मन्नत का बहाना बनाकर राजा रघुवंशी से अपने आप से दूर रखा। सोनम ने जिससे प्यार किया, उसके प्रति पूरी तरह समर्पित रही। दरअसल इसमें दोषी सोनम के माँ – बाप  है क्योंकि सब जानते हुए भी उन लोगों ने किसी लड़के की जिंदगी की बलि क्यूँ दी।

आज के आधुनिक युग में रिश्तों के  डोर आसानी से टूटने लगे हैं। सामाजिक मर्यादा नाम की कोई चीज नही रह गई है। हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। पहले भी कुछ छिट पुट घटनाएं सामने आती थीं लेकिन अब इसमें बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होते जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण संयुक्त परिवार का टूटना और एकल परिवार का उदय होना है । एकल परिवारों में भी मोबाईल के कारण व्यक्ति नितांत अकेला होता जा रहा है। ये समाज के लिए चिंता का विषय है। बहुत से रिश्तों के मायने ही खत्म होते जा रहे हैं। पहले हरेक परिवार में तीन चार बच्चे जरूर होते थे और उनसे ही आगे के रिश्तों का जन्म होता था। अगर परिवार में एक लड़का या एक लड़की हो तो बहुत से रिश्तों का नाम ही मिट जाता है। मामा, बुआ, मौसी, चाचा , नाना,  दादा, दादी , नानी आदि रिश्ते पूरी तरह खत्म हो जाते हैं।

पहले तीन चार बहने या भाई होते थे तो बहुत सी समस्याओं का समाधान आपस में ही बातचीत से निपट जाता था। आज बच्चों में एक दूसरे का दुखड़ा सुनने वाला कोई अपना नहीं है। समाज एक उथल – पुथल के दौर से गुजर रहा है। समाज में एक नई चेतना जागृत करने की आवश्यकता है। आज जब हम लड़कियों को शिक्षित कर रहे हैं तो उनको भी अपने हिसाब से जीवनसाथी चुनने की छूट होनी चाहिए। अब हम जात पात का बंधन किसी पर नही थोप सकते हैं। केवल होना ये चाहिए कि अपने बच्चों को इतना जागरूक बना दें कि वे अपने बारे में बेहतर फैसला ले सकें। आज सारी दुनिया एक ग्लोबल मार्केट में तब्दील हो गई है जिससे कोई अछूता नही रह गया है। अब किसी देश में कुछ होता है तो उससे दूसरा देश अछूता नही रह सकता । अब युद्ध की स्थिति में सिर्फ दो देश युद्ध नही करते बल्कि उनके साथ और भी देश बेवजह प्रभावित हो जाते हैं। अब हमें व्यापक स्तर पर सभी चीजों को देखने की आवश्यकता है।

बेहतर ये हो कि लड़का हो या लड़की, शादी के मामले में किसी तरह का दबाब अभिभावक के स्तर पर नही होना चाहिए। अगर सोनम के माँ बाप सोनम पर दबाब नही डालते तो राजा रघुवंशी की जान कदापि नहीं जाती। बेवजह एक लड़की को गुनाह करने पर मजबूर होना पड़ा। छोटी सी भूल ने एक व्यक्ति की जान ले ली और उसके कत्ल में पाँच गुनाहगार पैदा कर दिए। वास्तव में छह जिंदगी तबाह हो गई। समाज को ये मानसिकता बदलनी होगी कि लड़की घर की इज्ज़त होती है। इस भ्रम से समाज को निकलना ही होगा वरना इस तरह के जुर्म समाज में होते रहेंगे।

डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी