विदेशों में पाम, सोयाबीन तेल चढ़ने से बीते सप्ताह लगभग सभी तेल-तिलहनों में सुधार

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) बीते सप्ताह विदेशों में कच्चा पामतेल (सीपीओ) और सोयाबीन तेल के दाम बढ़ने से देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में पाम तेल का भाव पिछले सप्ताह के 985-990 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 990-995 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि सोयाबीन तेल का दाम अपने पिछले सप्ताह के 995-1,000 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन हो गया।

हालांकि देश में खाद्यतेलों का अत्यधिक आयात होने से बंदरगाहों पर आयातक अपनी लागत से दो-तीन प्रतिशत कम दाम पर सभी आयातित तेलों को बेच रहे हैं। इन कच्चेतेलों के प्रसंस्करण, आयात शुल्क और मार्जिन जोड़ने के बाद आने वाली लागत लगभग एक जैसा बैठती है।

उन्होंने कहा कि प्रसंस्करण, आयात शुल्क और मार्जिन जोड़कर सोयाबीन तेल का थोक भाव 94 रुपये प्रति किलो, पामतेल का भाव 94.5 रुपये किलो और सूरजमुखी तेल का थोक दाम 95 रुपये किलो बैठता है। इस तरह इन सभी खाद्यतेलों के बीच भाव का अंतर काफी कम रह गया है और खुदरा बाजार में इन सभी तेलों को 100-105 रुपये प्रति लीटर के भाव बिकना चाहिये। लेकिन खुदरा बाजार में पामतेल 105 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल 140-170 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल का बेहद कम शुल्क पर आयात जारी रहने तक हालात संभलने के बजाय बिगड़ते जाएंगे। इसकी वजह यह है कि अकेला सस्ता सूरजमुखी तेल – मूंगफली, बिनौल समेत सभी तेल तिलहनों को चोट पहुंचाता है। इस स्थिति के सामने आगामी मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला, देशी सूरजमुखी जैसे तिलहन फसलों का खपना असंभव है। दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा समय में सूरजमुखी तेल के मामले में देश लगभग 98 प्रतिशत आयात पर निर्भर हो चला है।

सूत्रों के मुताबिक, आयातित खाद्यतेलों के थोक दाम बेहद सस्ते यानी 80-82 रुपये प्रति लीटर बैठते हैं और नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से लगभग सभी घरेलू खाद्यतेलों के थोक दाम 125-160 रुपये प्रति लीटर बैठते हैं। ऐसे में सरकार को आयातित तेलों के सस्ते थोक दाम को देखते हुए मंहगे देशी तेल तिलहन में मिश्रण करने पर रोक लगा देनी चाहिए क्योंकि सारी जरुरतें सस्ते आयातित खाद्यतेलों से पूरी हो सकती हैं।

सूत्रों ने कहा कि देश के तेल-तिलहन उद्योग की हालत खराब है और सरकार को समय रहते कोई रास्ता ढूंढ़ना होगा ताकि देशी तेल-तिलहन उद्योग खड़ा रह सके।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 65 रुपये बढ़कर 5,975-6,015 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 100 रुपये बढ़कर 11,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,890-1,990 रुपये और 1,890-2,015 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,460-4,480 रुपये प्रति क्विंटल और 4,270-4,395 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 45 रुपये, 145 रुपये और 70 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 10,225 रुपये, 9,925 रुपये तथा 8,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में तेजी देखी गई। मूंगफली तिलहन 75 रुपये के सुधार के साथ 6,525-6,800 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 100 रुपये की मजबूती के साथ 15,650 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 10 रुपये के सुधार के साथ 2,335-2,635 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 100 रुपये का सुधार दर्शाता 8,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये की मजबूती के साथ 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 100 रुपये के सुधार के साथ 9,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल का भाव भी 125 रुपये के सुधार के साथ 9,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।