बचपन में पता नहीं था, मेरे पिता एक आईपीएस हैं, अब भी नहीं मालूम कि वह क्या करते हैं: शौर्य डोभाल

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं भारत के सबसे विशिष्ट जासूस अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल ने कहा है कि बचपन में उन्हें कभी नहीं पता चला कि उनके पिता एक आईपीएस हैं और उन्हें लगता था कि वह विदेश सेवा में हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं विचार मंच ‘इंडिया फाउंडेशन’ के संस्थापक शौर्य डोभाल ने ‘पीटीआई संपादकों’ के साथ बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें अपने पिता के गुप्त अभियानों के बारे में अपने जीवन में बहुत बाद में पता चला।

बैंकर से राजनीतिक विचारक बने शौर्य डोभाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, “बचपन में मुझे यह भी नहीं पता था कि वह एक आईपीएस अधिकारी हैं… मैं बहुत बाद में भारत वापस आया।”

शौर्य डोभाल ने मजाकिया अंदाज में कहा कि एक बार उन्होंने अपने पिता के एक सहकर्मी से पाकिस्तान की आईएसआई की तुलना में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की गतिविधियों के बारे में खबरों की कमी के बारे में पूछा था। जवाब में आईबी के काम की गुप्त प्रकृति पर प्रकाश डाला गया, “चूंकि आप इसके बारे में कुछ नहीं सुनते हैं, इसलिए हम यह कर पाते हैं।’’

भारत के सबसे विख्यात जासूसों में से एक माने जाने वाले अजित डोभाल वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं, जिससे वे एक से अधिक कार्यकाल के लिए इस पद पर रहने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं।

केरल कैडर के 1968 आईपीएस बैच के सदस्य, डोभाल भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित पहले पुलिसकर्मी भी हैं।

डोभाल के करियर में कई खुफिया सफलताएं शामिल हैं, जिनमें मिजो नेशनल आर्मी के खिलाफ घुसपैठ अभियान और म्यांमा और चीन से संबंधित महत्वपूर्ण मिशन शामिल हैं।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान उनका योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने ‘इंडियन एयरलाइंस’ उड़ान 814 अपहरण की घटना के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।

अपने पिता के गोपनीय करियर पर विचार करते हुए, शौर्य ने कहा, “मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी….यह स्पष्ट है कि अगर एक ‘सुपर’ जासूस के बच्चों को उसके काम के बारे में पता होगा, तो वह किस तरह का ‘सुपर’ जासूस होगा?’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज तक, मुझे नहीं पता कि वह क्या करते हैं, घर पर काम पर चर्चा करने की कोई संस्कृति नहीं है। लेकिन वह मुझसे हर चीज पूछते हैं और शायद वह जानते हैं कि मैं क्या करता हूं।”

शौर्य की टिप्पणियों से डोभाल परिवार के जीवन और राष्ट्रीय सुरक्षा में एक उच्च-स्तरीय करियर को पारिवारिक जीवन के साथ संतुलित करने की जटिलताओं के बारे में जानकारी मिली।

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल अजित डोभाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें “अंतरराष्ट्रीय खजाना” कहा था।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में अध्ययन करने वाले शौर्य डोभाल के पास लंदन बिजनेस स्कूल और शिकागो विश्वविद्यालय से संयुक्त एमबीए की डिग्री है। उन्होंने निवेश बैंकिंग की अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी और 2009 में इंडिया फाउंडेशन की स्थापना के लिए भारत वापस आ गए।

उन्होंने कहा, “यह एक ऐसे देश में एक अच्छी शुरुआत थी, जिसमें राजनीतिक ‘थिंक टैंक’ की संस्कृति नहीं थी। व्यावसायिक गतिविधियां ही वह चीज नहीं थीं जो मैं जीवन में चाहता था, इसलिए यह देश के लिए कुछ करने की मेरी छोटी सी कोशिश थी।”

इंडिया फाउंडेशन खुद को दूसरे थिंक टैंक से किस तरह अलग करता है, इस बारे में पूछे जाने पर शौर्य डोभाल ने कहा, “सबसे पहले, हम खुद को तटस्थ होने का दावा नहीं करते हैं। यह स्पष्ट है कि भारत के बारे में हमारा एक निश्चित दृष्टिकोण है और हम उसी के अनुसार चलते हैं। भारत को अपनी सभ्यतागत बुद्धिमत्ता को अपनी नीति निर्माण में कैसे लाना चाहिए? इस हद तक, हम दूसरे थिंक टैंक से अलग हैं।”

इंडिया फाउंडेशन के सरकार के साथ संबंधों और थिंक टैंक (विचार मंच) के वित्तपोषण मॉडल के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए शौर्य ने कहा, “हमारा संबंध सरकार से नहीं बल्कि पार्टी (भाजपा) से है और वह भी एक अनौपचारिक संबंध है।”

उन्होंने कहा, “हमारा वित्तपोषण किसी भी थिंक टैंक की तरह है, कभी-कभी हम इसे निजी संगठनों से लेते हैं, कभी-कभी सरकार से समारोह आदि आयोजित करने के लिए और हम शोध रिपोर्ट लिखते हैं… इसलिए कई चीजें हमारे वित्तपोषण में योगदान देती हैं।”