नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 82वीं वर्षगांठ के मौके पर शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने इस ऐतिहासिक आंदोलन की महत्ता को रेखांकित किया, जिसकी शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1942 में की थी।
धनखड़ ने कहा, ‘‘आज उस ऐतिहासिक दिन की 82वीं वर्षगांठ है जब महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था। ‘करो या मरो’ के उनके स्पष्ट आह्वान ने राष्ट्र को एकजुट किया और अंततः भारत को औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिली।’’
सभापति ने इस आंदोलन की निरंतर प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और इसे ‘लोगों की इच्छाशक्ति और दृढ़ता तथा किसी भी चुनौती से पार पाने के उनके दृढ़ संकल्प के प्रमाण’ के रूप में वर्णित किया।
धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपने संविधान को अपनाने के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के मूलभूत सिद्धांत राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इन आदर्शों को कायम रखना भारत छोड़ो आंदोलन के शहीदों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।’’
इसके बाद सदन ने भारत छोड़ो आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले लोगों की स्मृति में कुछ क्षण का मौन रखा।