मोदी सरकार का नजरिया देश के लोगों को अपने पैर पर खड़ा करने का है: राजीव प्रताप रुडी

नयी दिल्ली,  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राजीव प्रताप रुडी ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि बजट बनाते वक्त सरकार को देश के अंदरूनी ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय हलचलों एवं घटनाक्रमों को भी ध्यान में रखना पड़ता है, क्योंकि दूसरे देशों में जारी गतिविधियों का भी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है।

रुडी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का नजरिया देश के लोगों को अपने पैर पर खड़ा करने का है।

उन्होंने निचले सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि मोदी सरकार एक बार ‘‘मछली खिलाने में विश्वास नहीं रखती, मछली मारना सिखाने में विश्वास रखती है’’। उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि मोदी सरकार देश के लोगों को अपने पैर पर खड़ा करने में ज्यादा विश्वास रखती है, न कि एक बार कोई फायदा पहुंचा देने में।

रुडी ने कहा कि बजट बनाते वक्त सरकार को विभिन्न परिस्थितियों का ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ने से लेकर, (डोनाल्ड) ट्रम्प और (जो) बाइडन के चुनावी घमासान, (ऋषि) सुनक के सत्ताच्युत होने और (कीर) स्ट्रॉर्मर के सत्तारूढ़ होने तक का प्रभाव बजट पर पड़ता है।

उन्होंने बजट को लेकर विपक्ष के विरोध पर तंज कसते हुए कहा कि आंख की दो तरह की समस्याएं होती हैं, पहला- नजदीक देखने में परेशानी और दूसरा- दूर देखने में परेशानी।

उन्होंने कहा कि यदि नजदीक देखने की समस्या हो तो उसका सामान्य इलाज तो है, लेकिन यदि दूर देखने में दिक्कत हो तो इससे मुश्किल होती है।

रुडी ने कहा कि सरकार ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सफलता हासिल की है, जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये 500 अरब डॉलर के निवेश आए हैं।

आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह मीत हेयर ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश में अमीरों की सम्पत्ति में 25 गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कर अदायगी के मामले में मध्यम वर्ग का आंकड़ा अव्वल है।

उन्होंने जीवन बीमा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) खत्म करने की मांग की।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट अमीरों के नजरिये से बनाया गया है।

आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने भी कहा कि स्वास्थ्य एवं जीवन का अधिकार संविधान के मौलिक अधिकारों में आता है, लेकिन सरकार ने जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर मौलिक अधिकारों का हनन किया है।