मुझे विश्वास है कि राज्यपाल मेरे खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे जाने संबंधी याचिका खारिज कर देंगे: सिद्धरमैया
Focus News 7 August 2024मैसुरु (कर्नाटक), कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि राज्यपाल कथित मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे जाने संबंधी याचिका को खारिज कर देंगे, क्योंकि इस मामले में सबकुछ कानून और संविधान के अनुसार हुआ है।
उन्होंने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) उनसे और उनकी सरकार से डरे हुए हैं क्योंकि वह जनता और गरीबों की हितैषी है, इसलिए वे झूठे आरोप लगाकर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं।
सिद्धरमैया ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जब सबकुछ कानूनी रूप से सही है, तो (राज्यपाल को) इस संबंध में आश्वस्त होना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि वह (सरकार की प्रतिक्रिया को) स्वीकार करेंगे क्योंकि सबकुछ कानूनी रूप से सही है। वह (राज्यपाल) संविधान के प्रमुख हैं, जब चीजें संविधान के अनुसार हैं, तो वह स्वीकार क्यों नहीं करेंगे? मुझे विश्वास है कि वह स्वीकार करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें किसी राजनीतिक साजिश का संदेह है, क्योंकि राज्यपाल ने हाल में दिल्ली में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की थी, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि राज्यपाल संविधान के प्रमुख हैं, इसलिए वह कानून के अनुसार कार्य करेंगे।’’
एमयूडीए आवंटन ‘घोटाले’ के संबंध में सिद्धरमैया के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगने संबंधी याचिका को लेकर गेंद अब राज्यपाल के पाले में है और सभी की निगाहें राजभवन पर हैं कि थावरचंद गहलोत क्या निर्णय लेते हैं।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दाखिल याचिका पर 26 जुलाई को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी करके मुख्यमंत्री को उनके खिलाफ आरोपों पर सात दिन में जवाब देने को कहा था और यह बताने को कहा था कि उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री को जारी किए गए ‘कारण बताओ नोटिस’ को वापस लेने का राज्यपाल से आग्रह किया था और साथ ही राज्यपाल पर ‘‘संवैधानिक पद का घोर दुरुपयोग’’ करने का आरोप लगाया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यपाल ने उन्हें एक और नोटिस दिया है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केवल एक नोटिस भेजा गया था, जिसका हमने जवाब दे दिया है।’’
वहीं, इस सवाल पर कि क्या राज्यपाल ने मुख्य सचिव को बुलाकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं मालूम। मुझे केवल इतना पता है कि कार्यभार संभालने के बाद नयी मुख्य सचिव शालिनी रजनीश दिल्ली से लौटने पर राज्यपाल से मिलने गई थीं।’’
सिद्धरमैया ने दावा किया कि विपक्ष सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्हें निशाना बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (भाजपा ने) पहले ‘ऑपरेशन कमल’ की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए थे, इसलिए अब भाजपा और जद (एस) दोनों एक साथ मिल गए हैं और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि सिद्धरमैया गरीबों के लिए काम कर रहा है और हम गारंटी योजनाएं लागू कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है, क्योंकि वे गारंटी योजनाओं के विरोधी हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष झूठे आरोपों के जरिए सरकार को अस्थिर करने के अपने प्रयासों में सफल होगा, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सत्य की हमेशा जीत होती है’’।
विपक्ष का आरोप है कि एमयूडीए ने उन लोगों को मुआवजे के तौर पर भूखंड आवंटित करने में अनियमितता बरती, जिनकी जमीन का ‘‘अधिग्रहण’’ किया गया है। मुआवजे के तौर पर भूखंड प्राप्त करने वालों में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं। इसके खिलाफ मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर सप्ताह भर की बेंगलुरु से मैसुरु की पदयात्रा शुरू की गयी है।
आरोप है कि एमयूडीए ने पार्वती को उनकी तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की जमीन के बदले में 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। इस विवादास्पद योजना के तहत अधिग्रहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमि देने वाले को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित करने की परिकल्पना की गई है।
भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि एमयूडीए घोटाला 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये तक का है।