बैंकों के साथ मिलकर काम करे फिनटेक क्षेत्र: विवेक जोशी

नयी दिल्ली, वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने बुधवार को वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) इकाइयों से बैंकों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि व्यापक होते इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों से निपटने को बेहतर समाधान तैयार किये जा सकें।

उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के पिकप फिनटेक सम्मेलन में जोशी ने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। देश में वैश्विक औसत की तुलना में फिनटेक की स्वीकार्यता की दर सबसे अधिक है।

उन्होंने कहा कि फिनटेक ने विभिन्न सेवाओं के लिए नये और अनूठे समाधान प्रदान करके वित्तीय क्षेत्र की दशा-दिशा बदल दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं फिनटेक से आग्रह करूंगा कि वे स्वयं समाधान बनाने और फिर बैंकों से संपर्क करने के बजाय उनके साथ मिलकर काम करें… क्योंकि बैंक, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का दायरा बड़ा है और वे बड़े मुद्दों को देखते हैं।’’

सचिव ने कहा कि यह अधिक उपयुक्त होगा कि बैंक समस्या पर सुझाव दें और फिर फिनटेक परिवेश तैयार कर उसका समाधान प्रदान करें।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि आप (फिनटेक) बैंकों के साथ मिलकर काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए बैंकिंग प्रणाली जिस तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है, उसके बारे में बहुत सारी जानकारी सीमित हो सकती है…इसीलिए, यही वह चीज है, जिसपर हमें काम करना चाहिए। इनमें से कई बैंकों ने स्टार्टअप को सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया है। इसके पीछे सोच यह है कि उन्हें समस्याएं बताई जाएं और फिर समाधान मांगा जाए। सही मायने में यह बहुत अच्छा होगा।’’

जोशी ने कहा कि हालांकि फिनटेक की संभावनाएं काफी हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के साथ चुनौतियां भी सामने आती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल विकास ने संचालन के मुद्दों, नियमों के अनुपालन, उपभोक्ता संरक्षण और निष्पक्ष गतिविधियों जैसी कुछ अनूठी चुनौतियों को जन्म दिया है। फिनटेक नवोन्मेष और समय पर नियामकीय प्रतिक्रिया के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।’’

सचिव के अनुसार, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि नवोन्मेष आवश्यक सुरक्षा उपायों से आगे न निकल जाए। साइबर सुरक्षा, निजी जानकारी की गोपनीयता, पहचान की चोरी, डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी और वित्तीय साक्षरता अन्य क्षेत्र हैं जिनपर हमें ध्यान देने की जरूरत है।

बजट घोषणा का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा कि बैंकों को एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) को कर्ज देने के लिए नये मॉडल विकसित करने चाहिए।

उन्होंने कहा कि बही-खाता या एमएसएमई के रिटर्न पर निर्भर होने के बजाय, नया मॉडल एमएसएमई के डिजिटल विकास पर निर्भर करेगा।

जोशी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि फिनटेक बैंकों को उनकी डिजिटल कर्ज क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।’’