विस्तारित पटना संग्रहालय की गंगा, पाटलि दीर्घाओं का उद्घाटन सात अगस्त को होगा

नयी दिल्ली/पटना, बिहार के 96 साल पुराने पटना संग्रहालय की नयी विस्तारित शाखा की दो आधुनिक दीर्घाओं का सात अगस्त को उद्घाटन किया जायेगा।

इनमें से एक दीर्घा प्रसिद्ध प्राचीन शहर पाटलिपुत्र के विकास की कहानी बयां करती है।

सूत्रों ने बताया कि पटना संग्रहालय की ‘गंगा’ और ‘पाटलि’ दीर्घाओं का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए जाने की संभावना है।

इसके अलावा, संग्रहालय की बेशकीमती संपत्तियों में से एक- 20 करोड़ साल पुराने जीवाश्म पेड़ के तने को जल्द ही पुरानी इमारत से विस्तारित शाखा की नयी दीर्घा में स्थानांतरित किया जाएगा।

एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पटना संग्रहालय की पुरानी इमारत में पहले प्रदर्शित की गई सभी पुरानी कलाकृतियों को नयी विस्तारित शाखा के उत्तरी भाग के एक आधुनिक भंडारण में ले जाया गया है और इसके बाद पुरानी इमारत के संरक्षण का काम शुरू किया जाएगा।’’

सूत्र ने कहा कि दो नयी दीर्घाएं विस्तारित शाखा के पश्चिमी भाग में स्थित हैं, जो पुराने संग्रहालय भवन के ठीक पीछे स्थित है।

सूत्रों ने कहा, ‘‘दोनों दीर्घाओं का उद्घाटन सात अगस्त को किए जाने की योजना है। आगंतुक सबसे पहले नयी शाखा से संग्रहालय में प्रवेश करेंगे और उन्हें गंगा की कहानी एवं इसके तट पर बिहार के संदर्भ में सभ्यता के विकास को समझने का मौका मिलेगा। इसके बाद वे पाटलि दीर्घा में जाएंगे।’’

पाटलि दीर्घा प्राचीन कलाकृतियों, फाइबर प्लास्टिक से बने वास्तुशिल्प मॉडल और राजगीर एवं पाटलिपुत्र पर केंद्रित मगध क्षेत्र की कहानी को दर्शाती है।

वर्तमान नालंदा जिले में स्थित राजगीर, मगध साम्राज्य की प्राचीन राजधानी थी और बाद में इसकी राजधानी को पाटलिपुत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है।

वास्तुशिल्प मॉडल में प्राचीन पाटलिपुत्र के पुराने दुर्गों को दर्शाया गया है, जो मौर्य शासक सम्राट अशोक के शासनकाल में अपने उत्कर्ष पर थे तथा एक अन्य कलाकृति प्राचीन शहर में आयोजित होने वाली बौद्ध परिषद की बैठकों को दर्शाती है।

सूत्र ने बताया, ‘‘पुराने संग्रहालय में पहले दीवार पर लगे जीवाश्म वृक्ष को भी जल्द ही नयी शाखा में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। आईजीएनसीए को इसके संरक्षण और स्थानांतरण का काम सौंपा गया है।’’

दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) संस्कृति मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। यह पुराने संग्रहालय में कलाकृतियों के संरक्षण का काम भी कर रहा है।

संरक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने दो संरक्षण प्रयोगशालाएं पहले ही स्थापित कर ली हैं- एक वस्त्र एवं चित्रकारी के लिए और दूसरी कागज एवं पांडुलिपियों के लिए। तीसरी प्रयोगशाला प्राकृतिक इतिहास के लिए स्थापित की जाएगी।’’

पटना संग्रहालय में आईजीएनसीए की टीम इस समय उस जीवाश्म अवशेष को स्थानांतरित करने पर काम कर रही है, जिसे उसके पुराने स्थान से हटा दिया गया है।

यह 20 करोड़ वर्ष पुराना पेड़ का तना 58 फुट लंबा है, जो 1927 में आसनसोल (पश्चिम बंगाल में) के पास मिला था और पूर्वी रेलवे द्वारा प्रस्तुत किया गया था। अवशेष के पास मूल रूप से लगाए गए लकड़ी के सूचना पटल से यह जानकारी मिलती है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इस जीवाश्म अवशेष को पुराने भवन से संग्रहालय की नयी ‘गंगा’ दीर्घा में स्थानांतरित किया जाएगा।’’

इस परियोजना पर काम कर रहे टीम के एक सदस्य ने कहा कि पेड़ के तने में आठ इंच से लेकर तीन फुट तक के ‘‘विभिन्न टुकड़े’’ हैं।

ऐतिहासिक पटना संग्रहालय में दुर्लभ चित्रों, तिब्बती थांका, ‘डेनियल एक्वाटिंट’ (एक प्रकार की कलाकृति), मूर्तियों, सिक्कों और अन्य समृद्ध कलाकृतियों का संग्रह है। यह पुनरुद्धार परियोजना के कारण पिछले साल एक जून से आगंतुकों के लिए बंद है। इस परियोजना की आधारशिला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त 2020 में रखी थी।

कुमार ने दीर्घाओं और अन्य कार्यों का निरीक्षण करने के लिए हाल में संग्रहालय का दौरा किया था।

बिहार की राजधानी में प्रसिद्ध ब्रिटिशकाल का यह ऐतिहासिक स्थल ‘इंडो-सरसेनिक’ वास्तुकला से संपन्न है और स्थानीय लोग इसे ‘जादू घर’ के नाम से जानते हैं। इसका निर्माण 1928 में पूरा हुआ था।

राय बहादुर बिशुन द्वारा डिजाइन किये गए इस संग्रहालय को मार्च 1929 में बिहार और उड़ीसा (अब ओडिशा) के तत्कालीन गवर्नर सर ह्यूग लैंसडाउन स्टीफेंसन ने आम जन के लिए खोला था।

संग्रहालय के पुराने द्वारों को हाल में ध्वस्त कर दिया गया था और उनकी जगह उसी शैली में बने नए द्वार लगाए गए थे जिसकी विभिन्न विद्वानों एवं विरासत प्रेमियों ने आलोचना की थी।

मई में इसकी नयी शाखा में आग लगने की सूचना मिली थी, लेकिन अधिकारियों ने तब कहा था कि कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है।