ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के परिजन उनकी कामयाबी से बेहद खुश

GT9-wWvXUAAgdYj_1722609081428_1722609252375

लखनऊ, तीन अगस्त (भाषा) लखनऊ में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का परिवार खुशी से फूला नहीं समा रहा है, क्योंकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भेजे जाने वाले भारत-अमेरिका के अगले मिशन के लिए चुना गया है।

शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं, कहते हैं कि परिवार घबराया हुआ नहीं है, बल्कि गर्व महसूस कर रहा है। वहीं, मां आशा शुक्ला ने अपने सबसे छोटे बेटे को “शांत दिमाग वाला” बताया, जो बिना आपा खोए हर स्थिति का सामना करता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को घोषणा की कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को आईएसएस पर भेजे जाने वाले आगामी भारत-अमेरिका मिशन के लिए चुना गया है।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इसरो ने कहा कि उसके मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र ने आईएसएस के लिए अपने चौथे मिशन के वास्ते अमेरिका के एक्सिओम स्पेस इंक के साथ समझौता किया है और ‘नेशनल मिशन असाइनमेंट बोर्ड’ ने दो गगनयात्रियों-ग्रुप कैप्टन शुक्ला व ग्रुप कैप्टन नायर के नाम की सिफारिश की है।

इसरो ने कहा कि शुक्ला के नाम की सिफारिश प्राथमिक अंतरिक्ष यात्री के रूप में की गई है और नायर उनके ‘बैकअप’ होंगे। इसरो के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह नासा से मान्यता प्राप्त सेवा प्रदाता एक्सिओम स्पेस इंक की सिफारिश पर किया गया है।

शुक्ला और नायर उन चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं, जिनके नाम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल 27 फरवरी को भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए की थी। दो अन्य पायलट ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप हैं।

इसरो की शुक्रवार की घोषणा के बाद लखनऊ में शुक्ला परिवार के घर पर जश्न का माहौल है। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, “हम बहुत खुश हैं और शुभांशु की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं। हम भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि मिशन सफल हो, जिसे लेकर हमें पूरा भरोसा भी है। देश के लोग भी अपना आशीर्वाद बरसा रहे हैं।”

शुक्ला के पिता ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को अपने बेटे से बात की थी, जिसने उन्हें मिशन को लेकर अपनी तैयारियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “जो भी चार-पांच महीने लगेंगे, उसके बाद मिशन शुरू हो जाएगा।”

यह पूछे जाने पर कि क्या शुक्ला का बचपन से ही अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रति कोई झुकाव था, उनके पिता ने कहा कि वास्तव में नहीं।

उन्होंने बताया, “मैं सचिवालय में काम करता था और हमारे घर में इस विशेष कार्य क्षेत्र में करियर की संभावनाओं पर वास्तव में विचार नहीं किया जाता था। मुझे सिविल सेवा या डॉक्टर की नौकरी अधिक पसंद थी, लेकिन किसी का भाग्य भगवान तय करता है। मेरे बेटे ने भी मेहनत की और हर कदम पर सफल रहा। उसका चयन पहले वायु सेना, फिर इसरो और अब अंतरिक्ष मिशन के लिए हुआ है।”

शुक्ला चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

शुक्ला के पिता ने कहा, “न तो मैं, न ही मेरा बेटा और न ही परिवार का कोई भी अन्य सदस्य मिशन को लेकर घबराया हुआ है। हम नकारात्मक विचारों में नहीं पड़ते, हम प्रार्थना करते हैं और बाकी सब भगवान पर छोड़ देते हैं। हमें विश्वास है कि वह जो भी करते हैं, सही होता है।”

वहीं, आशा शुक्ला ने अपने बेटे की उपलब्धियों को “एक शानदार एहसास” बताया और कहा कि इससे परिवार “बेहद खुश” है।

उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, “उसने हमें तीन-चार दिन पहले इस मिशन के बारे में बताया और हम बेहद खुश हैं। कोई घबराहट नहीं है। कभी-कभी हम ऐसे मिशन के बारे में कुछ नकारात्मक बातें सुनते हैं, लेकिन हमने भगवान पर भरोसा किया है और मानते हैं कि वह जो भी करते हैं, सही होता है।”

बेटे के बचपन के बारे में बात करते हुए आशा शुक्ला ने कहा, “हमें पहले से ही पता था कि वह जीवन में कुछ बड़ा करेगा। वह बहुत शांत स्वभाव का है और कभी भी अपना आपा नहीं खोता। वह परिस्थितियों को सहजता से संभालता है।”

उन्होंने कहा कि जब से शुभांशु को अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने की खबर आई है, तब से परिवार के लोगों के फोन आ रहे हैं और लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं।

शुक्ला के स्कूल में भी उनकी इस उपलब्धि का जश्न मनाया गया। स्कूल ने फेसबुक पर कहा, “शुभांशु ने एनडीए और बाद में भारतीय वायु सेना में शामिल होने से पहले 3 से 18 साल की उम्र तक हमारे स्कूल में पढ़ाई की। हम सभी को उन पर बहुत गर्व है।”

शुभांशु की बहन सुची शुक्ला ने कहा, “उसने हमें गर्व महसूस करने का एक और मौका दिया है। यह सोचकर बहुत अच्छा लगता है कि वह आने वाले कुछ दिनों में नयी ऊंचाइयों को छुएगा।”