नयी दिल्ली, वित्तीय सेवाओं के सचिव विवेक जोशी ने शुक्रवार को कहा कि चीन से जुड़े निवेशों की निगरानी करने वाली अंतर-मंत्रालयी समिति ने अभी तक पेटीएम की भुगतान एग्रीगेटर इकाई में उसके निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है।
जोशी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पेटीएम का यह निवेश प्रस्ताव अभी भी अंतर-मंत्रालयी समिति के पास विचाराधीन है और इस पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है।
मुश्किलों में घिरी पेटीएम ने अपनी पूर्ण अनुषंगी इकाई पेटीएम पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड (पीपीएसएल) में 50 करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन इस प्रस्ताव को सरकार की पूर्व-मंजूरी लेनी जरूरी है।
दरअसल पेटीएम की मूल इकाई वन97 कम्युनिकेशंस लि. (ओसीएल) में चीन से निवेश आया है। इस वजह से विदेश, गृह, वित्त एवं उद्योग मंत्रालयों के अधिकारियों की एक समिति इस पर गौर कर रही है कि ओसीएल का पीपीएसएल में निवेश प्रस्ताव एफडीआई दिशानिर्देशों के अनुरूप है या नहीं।
जोशी ने कहा कि अंतर-मंत्रालयी पैनल से निवेश प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद पेटीएम भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस पाने के लिए रिजर्व बैंक से संपर्क कर सकता है। रिजर्व बैंक उसके प्रस्ताव की जांच करने के बाद लाइसेंस देने के बारे में कोई फैसला करेगा।
पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लि. ने नवंबर, 2020 में भुगतान एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए रिजर्व बैंक के पास लाइसेंस की अर्जी लगाई थी। लेकिन केंद्रीय बैंक ने नवंबर, 2022 में पीपीएसएल के आवेदन को खारिज कर दिया था।
रिजर्व बैंक ने कंपनी को एफडीआई नियमों के तहत प्रेस नोट-3 का अनुपालन करने के लिए इसे दोबारा जमा करने को कहा था। इसकी वजह यह है कि पीपीएसएल की मूल कंपनी ओसीएल में चीनी फर्म एंट ग्रुप कंपनी ने निवेश किया हुआ है।
सरकार ने कोविड-19 महामारी के समय प्रेस नोट-3 के तहत घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण को रोकने के लिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश को पूर्व-अनुमोदन लेना अनिवार्य कर दिया था।
भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं।
इस निर्देश के अनुरूप ओसीएल ने 14 दिसंबर, 2022 को प्रेस नोट-3 का अनुपालन करने के लिए भारत सरकार के समक्ष आवेदन किया था।
पेटीएम की एक अन्य अनुषंगी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक (पीपीबीएल) को इस साल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देशों का लगातार उल्लंघन करने पर बंद कर दिया था।