वियनतियाने(लाओस),विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बृहस्पतिवार को आसियान बैठक से इतर फिलीपीन के अपने समकक्षों एनरिक एम मनालो और नार्वे के एस्पेन बार्थ इडे से मुलाकात की और इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद -प्रशांत क्षेत्र की प्राथमिकताओं पर चर्चा की।
जयशंकर ने तिमोर लेस्ते के विदेश मंत्री बेंडिटो फ्रेटास और कंबोडिया के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री सोक चेंदा सोफिया के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की।
जयशंकर और अन्य सभी नेता इस समय लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (लाओस) की राजधानी वियनतियाने में आसियान ढांचे के तहत आसियान-भारत, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) और आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) में हिस्सा लेने के लिए मौजूद हैं।
जयशंकर की दक्षिणी पूर्वी एशियाई समकक्षों के साथ बातचीत मुख्य रूप से द्विपक्षीय संबंधों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू राजनीति पर केंद्रित रही जबकि उन्होंने नार्वे के नेता के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा की।
नार्वे के विदेशमंत्री के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने कहा, ‘‘ आज एस्पेन बार्थ इडे से मुलाकात अच्छी रही। भारत और नार्वे की स्वच्छ ऊर्जा और व्यापार में साझेदारी जारी रहेगी। दोनों देशों की बेहतरी के लिए यूरोपीय मुक्त व्यापार समझौते (ईएफटीए) को क्रियान्वित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। भू राजनीति स्थिति पर भी चर्चा हुई।’’
जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा कि वह अपने मित्र फिलीपीन के एनरिक ए मनालो से मिलकर ‘‘खुश हैं’’। उन्होंने कहा,‘‘ दोनों लोकतंत्रों के बीच मजबूत होते हमारे सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी, विशेष रूप से कानून के शासन और आसियान की प्रमुखता बनाए रखने पर चर्चा की।’’
फ्रेटास से मुलाकात के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच पर कहा, ‘‘ आसियान बैठक से इतर तिमोर लेस्ते के विदेश मंत्री बेंडिटो फ्रेटास से मुलाकात कर प्रसन्नता हुई। हमारी दिल्ली (भारत की राजधानी) से दिली (तिमोर लेस्ते की राजधानी) की दोस्ती विविधतापूर्ण और गहरी होनी जारी रहेगी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की साझा प्राथमिकताओं पर एक दूसरे से अपने-अपने विचार साझा किए।’’
विदेशमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में कहा,‘‘कंबोडिया के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री सोक चेंडा सोफिया से मिलकर खुशी हुई। हवाई संपर्क, रक्षा और विरासत संरक्षण सहित हमारे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति पर गौर किया। इसे और आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं।’’
विदेश मंत्रालय ने उनकी यात्रा से पहले नयी दिल्ली में कहा कि जयशंकर की लाओस यात्रा इसलिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस वर्ष भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक दशक पूरा हो रहा है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी।