समुद्री क्षेत्र के लिए बजट प्रस्तावों से भारत के जलीय कृषि, समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा मिलेगा: एमपीईडीए

नयी दिल्ली, सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने तथा वित्तपोषण सुविधाओं जैसी समुद्री क्षेत्र के लिए बजट घोषणाओं से देश के जलीय कृषि व समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। एमपीईडीए ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के अनुसार, बजट में समुद्री उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के मकसद से कई रणनीतिक उपाय शामिल हैं, जिनमें झींगा उत्पादन तथा निर्यात पर विशेष ध्यान दिया गया है।

केंद्रीय बजट 2024-25 में झींगा तथा मछली का चारा बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न कच्चे माल को सीमा शुल्क छूट देने का प्रस्ताव है। खनिज तथा विटामिन प्री-मिक्स, क्रिल भोजन, मछली लिपिड तेल, कच्चा मछली तेल, एल्गल प्राइम, एल्गल तेल जैसे कई कच्चे माल को किसी भी आयात शुल्क से पूरी तरह छूट देने की भी घोषणा की गई।

कीट भोजन और एकल कोशिका प्रोटीन के लिए आयात शुल्क घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव है।

प्राधिकरण ने कहा, ‘‘ केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई ये घोषणाएं जलीय कृषि और समुद्री खाद्य निर्यात क्षेत्रों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ इस पहल से आयातित ‘ब्रूडस्टॉक’ पर भारत की निर्भरता में भारी कमी आने की उम्मीद है, जिससे उद्योग को सालाना 150 करोड़ रुपये तक की बचत होगी।’’

प्राधिकरण ने कहा गया कि हैचरी संचालकों को काफी लाभ होने की उम्मीद है, क्योंकि ‘ब्रूडस्टॉक’ लागत पर 50 प्रतिशत की बचत होने का अनुमान है।

झींगा बीज की लागत में 30 प्रतिशत की कमी से करीब एक लाख किसानों को लाभ होगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

एमपीईडीए के चेयरमैन डी. वी. स्वामी ने कहा कि प्रस्तावित उपायों से उत्पादन लागत में काफी कमी आएगी, गुणवत्ता बढ़ेगी तथा भारतीय समुद्री उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।