शनि, पापी व्यक्तियों के लिए दु:ख और कष्टकारक होता है मगर ईमानदारों के लिए यह यश, धन, पद और सम्मान का ग्रह है। ज्योतिर्विद जहां इसे न्यायाधीश या दंडाधिकारी, कृष्ण वर्ण और डरावना मानते है, वहीं खगोलविद् इसे मनोहारी या सर्वाधिक सुंदर ग्रह मानते हैं। शुभ स्थिति में होने पर या प्रसन्न होने पर सभी ऐश्वर्य योग, इज्जत, मान-सम्मान और सबसे अधिक, सबसे अहम वस्तु ‘मोक्ष’ भी प्रदान करता है।
शनि, जनतंत्र का कारक ग्रह कहलाता है। राजनीति में शनि की अहम भूमिका है। राजनीति में शनि विश्वास का प्रतीक माना जाता है। अगर किसी राजनैतिक की कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं होती तो जनता को उस राजनेता की बातों का विश्वास नहीं होता है।
शनि में ऐसी प्रबल शक्ति है, वह राजा को रंक और रंक को राजा बनाता है। किसी के भाग्य को अचानक बदलने में शनि सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही रूप से सशक्त भूमिका निभाता है।
शनि के रत्न नीलम की जितनी महिमा या गुणगान किया जाए कम है। यदि जातक की कुंडली में शनि की महादशा विपरीत हो, उसे नीलम नग धारण करना चाहिए। यदि नीलम अनुकूल पड़े तो धन-धान्य, सुख-संपत्ति, यश, मान-सम्मान, आयु बुद्धि तथा वंश की वृद्धि करता है, रोग और दरिद्रता को दूर करता है, मुख की कांति और नेत्रों की रोशनी को बढ़ाता है तथा इससे इंसान की अनेक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अनेक प्रकार की बीमारियों पर भी नीलम धारण करने से अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके धारण करने से नेत्र रोग, उल्टी, हिचकी, पागलपन, दमा, खांसी, अजीर्ण, ज्वर आदि रोगों में लाभ मिलता है। राजनीति में नीलम की अहम भूमिका है। नीलम धारण करने से पराजय विजय में बदल सकती है। मकर और कुम्भ राशि वालों के लिए नीलम जीवनदायी रत्न का कार्य करता है। इनके लिए यह दीर्घायु प्रदान करने वाला रत्न कहा गया है।
वृष लग्न और तुला लग्न वालों के लिए नीलम परमराजयोग कारक रत्न माना गया है। जो उनके भाग्य के द्वार खोलने में सहायक होता है।
विदेशी मान्यता के अनुसार सितंबर माह में जन्मे व्यक्ति का बर्थ स्टोन नीलम होता है।
न्यूमरोलॉजी के हिसाब से जिन व्यक्तियों का जन्म 8, 17 और 26 में से किसी तारीख को होता है, उनका मूलांक 8 होता है। मूलांक आठ का स्वामी शनि होने से आठ मूलांक वाले जातक यदि नीलम रत्न धारण करते हैं तो उनके भाग्योदय एवं उन्नति के मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं।
नीलम हमेशा ज्योतिषी के परामर्श के अनुसार ही धारण करना चाहिए। शनि की शांति के लिए सातमुखी रुद्राक्ष अपना चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है। इसके धारण करने से नीलम जैसा ही असर देखने को मिलता है। इसे किसी भी राशि अथवा लग्न के जातक पहन सकते हैं। रुद्राक्ष का कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं मिलता। साढ़ेसाती के प्रभाव से जो व्यक्ति बीमारियों व संकटों से घिरे हुए थे, उन्हें नीलम व सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से चमत्कारी लाभ मिला।