नयी दिल्ली, 11 जुलाई (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को सात देशों के बिम्सटेक समूह से बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नयी ऊर्जा, संसाधन और नयी प्रतिबद्धता का आह्वान किया।
यह अपील विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राष्ट्रीय राजधानी में दो दिवसीय सम्मेलन में बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) सदस्य देशों के अपने समकक्षों की मेजबानी करते हुए की।
बिम्सटेक दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के सात देशों को बहुआयामी सहयोग के लिए एक साथ लाता है।
भारत के अलावा बिम्सटेक में श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं।
जयशंकर ने कहा कि बिम्सटेक को उच्च आकांक्षाएं रखनी चाहिए।
जयशंकर ने सम्मेलन के पहले दिन अपनी शुरुआती टिप्पणी में कहा, “भारत के लिए बिम्सटेक उसके ‘पड़ोस प्रथम’ दृष्टिकोण, ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ और ‘सागर’ दृष्टिकोण के अहम पड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है।”
उन्होंने कहा, “इनमें से प्रत्येक प्रयास बंगाल की खाड़ी पर विशेष ध्यान देने के साथ प्रस्तावित किया जा रहा है, जहां सहयोगात्मक क्षमता का लंबे समय से उपयोग नहीं किया गया है।”
उन्होंने कहा, “हमारी चुनौती इसे बेहतर बनाने की है, और ऐसा तेजी से करना है।”
बिम्सटेक को क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक जीवंत मंच बनाने के लिए भारत ठोस प्रयास कर रहा है, क्योंकि दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के तहत पहल विभिन्न कारणों से आगे नहीं बढ़ रही थी।
भारत, ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) की व्यापक नीति रूपरेखा के अंतर्गत हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग कर रहा है।
बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक का उद्देश्य खुले तौर पर, स्पष्ट और फलदायी ढंग से विचारों का आदान-प्रदान करना है।
जयशंकर ने कहा, “बैंकॉक में पिछले सम्मेलन से हम सभी को लाभ मिला था। अब इस सम्मेलन का विशेष महत्व है क्योंकि यह इस वर्ष के अंत में होने वाले शिखर सम्मेलन के लिए मजबूत परिणाम तैयार करने का काम करेगा।”
उन्होंने कहा, “हमारा संदेश स्पष्ट होना चाहिए – कि हम सभी बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच सहयोग में नयी ऊर्जा, नए संसाधन और नयी प्रतिबद्धता लाने के लिए कृतसंकल्पित हैं।”
थाईलैंड बिम्सटेक का वर्तमान अध्यक्ष है और इस वर्ष के अंत में वह समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।