यह युद्ध का समय नहीं है : प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रिया में कहा

narendra-modi-2-1

वियना, 10 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ ‘‘सार्थक चर्चा’’ की और इस दौरान उन्होंने यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति समेत विश्व में जारी विवादों पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही, मोदी ने फिर से कहा कि ‘‘यह युद्ध का समय नहीं है।’’

प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के बाद मंगलवार रात मास्को से वियना पहुंचे। विगत 40 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की यह पहली यात्रा है।

उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाएं तलाशी हैं तथा आगामी दशक में सहयोग के लिए खाका तैयार किया है।

वार्ता के बाद नेहमर के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आज, चांसलर नेहमर और मेरे बीच बहुत ही सार्थक चर्चा हुई। हमने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं को तलाशा है। हमने अपने संबंधों को रणनीतिक दिशा देने का निर्णय लिया है। आने वाले दशक के लिए सहयोग का खाका तैयार किया गया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चांसलर नेहमर और मैंने दुनियाभर में जारी संघर्षों के बारे में विस्तृत वार्ता की है, चाहे वह यूक्रेन संघर्ष हो या पश्चिम एशिया में स्थिति। मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है।’’

मोदी ने कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया बातचीत और कूटनीति पर जोर देते हैं और इसके लिए वे कोई भी सहयोग करने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया, दोनों देश आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।’’

मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ऑस्ट्रिया की यात्रा करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी यह यात्रा ऐतिहासिक और विशेष है।’’

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और कानून का शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास भारत-ऑस्ट्रिया संबंधों का मजबूत आधार है। उन्होंने कहा, ‘‘पारस्परिक विश्वास और साझा हित हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार करने पर सहमत हुए हैं ताकि उन्हें समसामयिक और प्रभावकारी बनाया जा सके।’’