नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को अपने तीसरे कार्यकाल में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में सुधार पर ध्यान देना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार की वापसी के साथ मजबूत वृद्धि और घटती मुद्रास्फीति की संभावनाएं बनी हुई हैं। इससे मौद्रिक और राजकोषीय नीति के बीच तालमेल बैठाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, चूंकि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इसलिए निरंतरता बहुत महत्वपूर्ण है। आपूर्ति पक्ष में सुधार वाले व्यवहार्य सुधारों की आवश्यकता है।
गोयल ने जोर दिया कि स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, अदालत, पुलिस व्यवस्था के साथ ही बुनियादी ढांचे में क्षमता विस्तार की जरूरत भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए कृषि उत्पादकता में वृद्धि और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला जरूरी है।’’
उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों के साथ अच्छे तालमेल की जरूरत है।
खुदरा मुद्रास्फीति पर एक सवाल का जवाब देते हुए गोयल ने कहा कि नीति ने पिछले कुछ वर्षों में कम मुद्रास्फीति और मजबूत वृद्धि, दोनों मोर्चों पर सफलता पाई है। ऐसा कुछ हद तक इसलिए हो सका क्योंकि इसने वास्तविक ब्याज दरों को संतुलन स्तर से विचलित नहीं होने दिया।
उन्होंने कहा कि आरबीआई मौद्रिक नीति समिति के अधिकांश सदस्यों का मानना है कि मुद्रास्फीति को स्थायी रूप से कम करने के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.75 प्रतिशत के स्तर पर थी।