नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी की जयंती पर सोमवार को उन्हें याद किया और कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली गई उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रेड्डी की अपने राज्य में निकाली गई पदयात्रा से प्रेरित थी।
उन्होंने एक वीडियो संदेश में यह भी उम्मीद जताई कि राजशेखर रेड्डी की पुत्री वाईएस शर्मिला अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगी क्योंकि उनमें भी आंध्र प्रदेश के लोगों के लिए वही भावना, लगाव और स्नेह है जो राजशेखर रेड्डी में होता था।
शर्मिला आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं।
राजशेखर रेड्डी वर्ष 2004 से 2009 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। सितंबर, 2009 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने आंध्र प्रदेश में पदयात्रा के जरिये बड़ा जनसंपर्क अभियान चलाया था और चुनावी माहौल बदलने में इसका अहम योगदान माना जाता है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘राजशेखर रेड्डी की आज जयंती है। वह सही मायने में जननेता थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश के लोगों का दर्द महसूस किया, आंध्र प्रदेश के लोगों में विश्वास किया और आंध्र प्रदेश के लोगों के लिए जिए।’’
उनका कहना था, ‘‘मुझे विश्वास है कि अगर आज वह जीवित होते तो आंध्र प्रदेश पूरी तरह से अलग तरह का राज्य होता, यह प्रदेश उन त्रासदी और परेशानियों का सामना नहीं कर रहा होता जिनकी आज कर रहा है।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘शर्मिला जी उनकी बेटी हैं और मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूं। मुझे भरोसा है कि वह राजशेखर रेड्डी जी की विरासत को आगे बढाएंगी। वह ऐसा कर पाएंगी क्योंकि उनमें भी आंध्र प्रदेश के लोगों के लिए वही भावना, लगाव और स्नेह है जो राजशेखर रेड्डी में होता था।’’
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैंने निजी तौर पर राजशेखर रेड्डी से बहुत कुछ सीखा। मेरी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राजशेखर रेड्डी द्वारा आंध्र प्रदेश में निकाली गई यात्रा से प्रेरित थी। मुझे उनकी यात्रा का वो दृश्य याद है जब वह गर्मी, बारिश में चल रहे थे। हमने उस यात्रा से कुछ विचारों को लिया और भारत जोड़ो यात्रों में शामिल किया।’’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कई अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी राजशेखर रेड्डी की जयंती पर उन्हें और उनके योगदान को याद किया।
राहुल गांधी ने सितंबर, 2022 से जनवरी, 2023 के बीच कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा की थी जिसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम दिया गया था।