नयी दिल्ली, बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकरों के लिए संस्थागत व्यवस्था को अधिसूचित किया है। इसमें शेयर ब्रोकर को बाजार में हुई गड़बड़ियों का पता लगाने और रोकथाम के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
इससे पहले शेयर ब्रोकर को बाजार दुरुपयोग पर लगाम के लिए एक प्रणाली रखने के लिए जवाबदेह बनाने वाले कोई खास नियामकीय प्रावधान नहीं थे।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक अधिसूचना के मुताबिक, ब्रोकरों के लिए तय संस्थागत व्यवस्था के तहत ब्रोकिंग फर्म के साथ इसके वरिष्ठ प्रबंधन को मजबूत निगरानी और नियंत्रण प्रणाली स्थापित करके धोखाधड़ी या बाजार दुरुपयोग का पता लगाने और रोकथाम के लिए जवाबदेह बनाया जाएगा।
इसके साथ ही शेयर ब्रोकरों को सौदों में समुचित वृद्धि और रिपोर्टिंग की व्यवस्था बनाने की भी जरूरत है।
सेबी ने धोखाधड़ी या बाजार दुरुपयोग के संभावित उदाहरणों को भी सूचीबद्ध किया है, जिनकी निगरानी के लिए ब्रोकर प्रणाली को उपाए करने की जरूरत है। संभावित मामलों में सौदे की भ्रामक छवि बनाना, भाव में हेराफेरी, फ्रंट रनिंग (संवेदनशील जानकारी के आधार पर लाभ उठाना), भेदिया कारोबार, गलत बिक्री और अनधिकृत सौदे शामिल हो सकते हैं।
सेबी ने 27 जून को जारी इस अधिसूचना में शेयर ब्रोकर को किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगने के 48 घंटे के भीतर शेयर बाजारों को जानकारी देने को कहा है। इसके अलावा उन्हें संदिग्ध गतिविधि, धोखाधड़ी और बाजार दुरुपयोग के मामलों पर एक सारांश विश्लेषण और कार्रवाई रिपोर्ट या ऐसी कोई घटना न होने पर ‘शून्य रिपोर्ट’ छमाही आधार पर प्रस्तुत करनी होगी।
अधिसूचना के मुताबिक, शेयर ब्रोकिंग कंपनी को कर्मचारियों और अन्य हितधारकों के लिए संदिग्ध धोखाधड़ी, अनुचित या अनैतिक गतिविधियों के बारे में चिंता व्यक्त करने के लिए एक गोपनीय तरीका देने वाली ‘व्हिसलब्लोअर’ नीति स्थापित और लागू करनी होगी। नीति में ‘व्हिसलब्लोअर’ की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाएं स्थापित की जानी चाहिए।
इन बदलावों को प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने शेयर ब्रोकर और धोखाधड़ी एवं अनुचित व्यापार तरीका निषेध (पीएफयूटीपी) के मानकों में संशोधन किया है जो 27 जून से प्रभावी हो गए हैं।