“अमेज़न” सुपर फ़ूड के नाम से मोरिंगा सब्जी पाउडर बेच रहा है। कीमत थोड़ी ज़्यादा है लेकिन यह काम करती है। क्या उस देश के लोग हमारे जैसे हैं?
वे भी स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक हैं?
मोरिंगा पाउडर एक सुपर फूड क्यों है? आपको इसके बारे जानना होगा। मोरिंगा पाउडर वास्तव में सहजन (‘सजने पेड़’) का पत्ता है जो आमतौर पर हर मोहल्ले, लगभग हर घर में देखा जाता हैl
सहजन का (वानस्पतिक नाम : मोरिंगा ओलिफेरा, Moringa oleifera हैl) यह एक बहुत उपयोगी पेड़ है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है l अंग्रेजी में इसे ड्रमस्टिक कहते हैं i भारत में यह प्रचुर मात्रा में पैदा होता है l
इसे अमेरिकी कंपनी द्वारा सुपर फूड के रूप में ऑनलाइन बेचा जाता है। और भी कई देशी एवं विदेशी कंपनियां इसे बेच कर भारी मुनाफा कमा रही हैंl
*अब तो सब्जियों को लेकर दुनिया भर में शोध चल रहा हैl (हमारे ऋषि -मुनियों ने तो इस पर हज़ारों साल पहले ही शोध कर लिया थाl ये लोग क्यों समय और पैसे बर्बाद कर रहे हैंl पैसे इस लिए खर्च कर रहें की हम सनातनी (भारतवासी) हमारे ऋषि मुनियों द्वारा लिखी गई बातों पर विश्वास नहीं करते हैं, पर हा ऋषि मुनियों की बातों पर ये लोग जिस दिन अपनी मोहर लगा देंगे उसी दिन से हम विश्वास करने लग जाएंगेl इस तरह की मूर्खता को सादर प्रणाम)l*
स्प्रिंगर जैसी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में शोध पत्र छप रहे हैं। ( जहां तक जानकारी मिल रही है कि हमारे आयुर्वेद ग्रंथों से ज्ञान लेकर ये विदेशी शोधकर्ता लिख देंगे कि अमुक- अमुक सब्जी में ये- ये विटामिन हैं और इसके ये – ये फायदे हैंi अधिकांश मामले में ये शोधकर्ता हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों से ज्ञान लेकर हममें ही बांट देते हैं, अर्थात “तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा”l
अब बात करते हैं सहजन के बारे में l हर दस ग्राम ताजी सहजन की पत्तियों (वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा) में एक संतरे के बराबर वजन का 7 गुना विटामिन सी, एक गाजर के वजन का 10 गुना विटामिन सी, दूध के मुकाबले 17 गुना कैल्शियम, 9 गुना होता है। दही या दही से 15 गुना ज्यादा पोटैशियम और पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन होता है। साजन की सब्जियों में लगभग 36.7% प्रोटीन, लगभग दस प्रकार के आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन बी1, बी2, बी3, ई, के और कॉपर, मैग्नीशियम जैसे खनिज पर्याप्त मात्रा में होते हैं। साथ ही, साजन सब्जियों की पत्तियों, जड़ों और बीजों में अनगिनत हर्बल गुण होते हैं।
लेकिन आश्चर्य की बात है कि दुनिया भर में जहां यह पेड़ आसानी से उगाया जाता है, जैसे भारत, अफ्रीका, वहां कुपोषण ने जड़ें जमा ली हैं। कारण- हमारी अज्ञानता। 1997-98 में, दक्षिण सेनेगल में अल्टरनेटिव एक्शन फॉर अफ्रीकन डेवलपमेंट और चर्च वर्ल्ड वाइड सर्विस ने सजने के पत्तों के पाउडर की मदद से कई कुपोषित बच्चों और गर्भवती माताओं को ठीक किया।
इसे बिडम्बना ही कहेंगे कि हम भारतवासी आज भी मानसिक रूप से गुलाम हैंl हमे हमारे ऋषि मुनियों द्वारा किए शोधों पर विश्वास नहीं है l विदेशी शोधों पर विश्वास है जबकि भारत ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहा हैl
उदाहरण स्वरूप – हमारे ऋषि-मुनियों, चरक, धन्वंतरि जैसे महान आयुर्वेदाचार्यों ने सालों की शोध करने के बाद बताया था कि दिन में दही का सेवन करें एवं रात में दूध पीए अर्थात दिन में दही अमृत के समान होता है और रात में दही जहर के समान l
कई लोग रात में दही खाते हैंl
दूसरी बात पान या जामुन खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए तथा इसी तरह दूध पीने के बाद न पान खाना चाहिए और न ही जामुन खाना चाहिए पर लोग इन नियमों का उल्लंघन करते हैं और रोगी बन जाते हैं l
हमारे ऋषि मुनियों ने हज़ारों साल पहले बता दिया था कि खाना खाने के एक घंटे के बाद दूध पीना चाहिए पर बहुत से लोग भोजन के साथ- साथ दूध का घुट लेते रहते हैं इसलिए कि हेल्थ बनेगी, हेल्थ तो क्या बनेगी हेल्थ का सत्यानाश जरूर हो जाएगाl जब तक आज का साइंस नहीं बोलेगा तब तक खाने के साथ साथ दूध का सेवन करते रहेंगे तथा रात में दही भी खाएंगेl भारत का प्राचीन उन्नत विज्ञान के अनुसार गर्भवती महिलाओं को सूर्य एवं चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए कारण इससे भावी सन्तान पर बुरा असर पड़ सकता है यहां तक कि सन्तान को मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान हो सकता हैl ग्रहण काल में भोजन करना भी निषेध माना गया है कारण इस दौरान वातावरण में मौजूद वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं तथा वे मुहँ के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैंl
बचपन की बात मुझे याद है कि सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण के समय रेस्तरां एवं मिठाइयों की दुकानें बंद रखीं जाती थीl
क्या इन सभी बातों की जानकारी आज की साइंस के पास नहीं है?
जन्म से लेकर मृत्यु तक की सेंकड़ों जानकारियां हमारे ऋषि मुनियों ने दी हैं जो पूरी तरह से विज्ञान सम्मत हैंl अधिकांश लोगों को हमारे ऋषि मुनियों के शोधों पर विश्वास नहीं है l
दिशाओं का भी एक विज्ञान है – किस दिशा में मुहँ करके भोजन करना चाहिए , किस दिशा में सिर करके सोना चाहिए इन सभी की जानकारी हमारे ऋषि मुनियों ने विज्ञान के आधार पर हजारों साल पहले बात दी थी फिर भी हम अज्ञानी हैंl इन सभी मामलों में आज का विज्ञान पिछड़ा हुआ हैl
कुछ लोग कुतर्क करते हैं कि ये सभी बातें विज्ञान सम्मत नहीं हैंl अज्ञानतावश इस तरह की बातें करते हैंl
*हमारी दुर्दशा क्यों हुई है:-*
हमारे हजारों अमूल्य ग्रंथों को आतताइयों ने जला कर खाक कर दिया था और कुछ बाहरी लोग अपने साथ ले गए और वे उनकी नकल कर हमारे ज्ञान को हम पर ही थोपने लगे हैंl
भारत के उस समय के उन्नत विज्ञान के सामने आज का विज्ञान अभी भी शिशु अवस्था में हैl
गुलामी मानसिकता रखने वालो से एक प्रश्न- गणेशजी को हाथी के बच्चे का मस्तक किसने लगायाl उस वक़्त किसने सर्जरी की थी l अमेरिका से कोई सर्जन गया था या रूस से? आप किसी की जानकारी में हो तो कृपया अवश्य बताएंl