सब जानते हैं कि सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का उच्चतम रक्तचाप 120 तथा न्यूनतम 80 हुआ करता है। बढ़ती आयु के साथ यह भी बढ़ता है। सामान्य रक्तचाप रखना हमारी जरूरत है। लक्षण- तनाव होना, सिर चकराना, थकावट रहना, सांस लेने में कठिनाई, हृदय की धड़कन तेज रहना, हृदय क्षेत्र में पीड़ा महसूस करना, रोग के आरंभ में सिर के पीछे व गर्दन में दर्द। कारण- जीवन में एक समस्याओं का एक साथ सामना करना, किसी न किसी वजह से मानसिक तनाव बने रहना, धूम्रपान बहुत करना, शराब की अधिकता, अन्य नशे भी करना, अधिक नमक खाना, अधिक वसायुक्त भोजन करना आदि। उपचार- इस रोग में आंवले का मुरब्बा अच्छा फायदा करता है। प्रात: एवं सायं एक-एक आंवला खाया करें। सेब का सेवन- दिन में दो बार एक बड़ा सेब स्वाद से खाएं। उबले आलू- बिना छिले पांच आलू उबालें। उबालते समय नमक भी डाल दें। यह एक खुराक है। सुबह-शाम दो खुराक लें। कुछ दिनों तक उपचार जारी रखें। उबली चौलाई- चौलाई को उबालकर, आधी पकी सब्जी तैयार करें। बिना नमक डाले, एक-एक कटोरी, दिन में दो बार कुछ दिन जरूर खाएं। आराम पाते जाएंगे। नीबू पानी- एक कप गुनगुना पानी लें। शहद का बड़ा चम्मच, फिर नीबू निचोड़ें और पीएं। दिन में दो खुराक लेवें। लहसुन- लहसुन की पांच कलियां छीलकर पानी के गिलास में रातभर भिगोकर रखें। प्रात: कलियां खाएं। पानी पी लें। दस दिन तक करें। पालक तथा गाजर- पालक तथा गाजर का आधा-आधा गिलास रस निकालकर मिला दें। रोगी को पिलाएं दिन में दो खुराक। इस रोग के सभी कारणों को अपने जीवन से निकाल फैंकें। मांसाहारी हैं तो शाकाहारी हो जाए। कोई भी नशा न करें। शराब, गुटखा कुछ भी न लें। नमक का प्रयोग बहुत घटा दें। नाममात्र को ही लें। अच्छी, गहरी नींद लेने के गंभीर प्रयत्न करें। ताजा फल, सब्जियां, सलाद खूब चबाकर खाया करें। चाय, काफी, धूम्रपान त्याग दें। तनाव, गुस्सा, भय आदि से बचें। प्रतिदिन नीम की पत्तियां चबाने की आदत डालें। तरबूज का जूस, आधा गिलास एक समय, दिन में तीन बार लें। कुछ ही दिनों तक उपचार करना पड़ेगा। आराम मिलेगा। आप ये सुलभ उपचार करें तथा अपने चिकित्सक की भी सलाह लेते रहें।