नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा है कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में “भारत” और “इंडिया” का परस्पर प्रयोग किया जाएगा, जैसा कि देश के संविधान में है।
ये टिप्पणियां सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम पर काम कर रही एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा यह सिफारिश किए जाने के मद्देनजर महत्वपूर्ण हैं कि सभी कक्षाओं की स्कूली पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” शब्द होना चाहिए।
यहां ‘पीटीआई’ के मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में एनसीईआरटी प्रमुख ने कहा कि किताबों में दोनों शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा और परिषद को “भारत” या “इंडिया” से कोई परहेज नहीं है।
उन्होंने कहा, “यह परस्पर उपयोग के योग्य हैं….हमारा रुख वही है जो हमारा संविधान कहता है और हम उस पर कायम हैं। हम भारत का इस्तेमाल कर सकते हैं, हम इंडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें समस्या क्या है? हम इस बहस में नहीं हैं। जहां भी हमें ठीक लगे हम इंडिया का इस्तेमाल करेंगे, जहां भी हमें ठीक लगेगा हम भारत का इस्तेमाल करेंगे। हमें इंडिया या भारत से कोई परहेज नहीं है।”
सकलानी ने कहा, “आप देख सकते हैं कि दोनों का प्रयोग हमारी पाठ्यपुस्तकों में पहले से ही किया जा रहा है और नई पाठ्यपुस्तकों में भी यह जारी रहेगा। यह एक बेकार बहस है।”
विद्यालयी पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान की एक उच्च स्तरीय समिति ने पिछले वर्ष सिफारिश की थी कि सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” शब्द रखा जाना चाहिए।
समिति के अध्यक्ष सी.आई.इसाक ने कहा था कि उन्होंने पाठ्यपुस्तकों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” शब्द रखने, पाठ्यक्रम में “प्राचीन इतिहास” के स्थान पर “शास्त्रीय इतिहास” को शामिल करने तथा सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने का सुझाव दिया है।
इसाक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, “समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों की पाठ्यपुस्तकों में भारत नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत एक सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का इस्तेमाल प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जैसे कि विष्णु पुराण, जो 7,000 साल पुराना है।”
एनसीईआरटी ने तब कहा था कि समिति की सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर पिछले साल सामने आया था जब सरकार ने जी-20 के निमंत्रण को “प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया” के बजाय “प्रेसिडेंट ऑफ भारत” के नाम से भेजा था।
बाद में, नयी दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नामपट्टिका पर भी इंडिया के स्थान पर “भारत” लिखा हुआ दिखायी दिया।