हमारे देश में बच्चों के लिए दूध पीना प्रायः जरूरी माना जाता है। बच्चे प्रायः दूध नहीं पीना चाहते और मांएं उन्हें दूध पिलाने के नये-नये ढंग ढूंढती हैं। वयस्क लोगों का दूध पीना उनकी रूचि पर निर्भर करता है। कुछ लोग बहुत शौकीन होते हैं और कुछ लोग दूध की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते। डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञों के विचार भी इस मामले में अलग-अलग हैं। प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ शिखा शर्मा के अनुसार इसका रहस्य आयुर्वेद में है। उनके अनुसार दूध का आपके लिए लाभप्रद या हानिकारक होना इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी प्रकृति पित्त है, कफ है या वात है। उनके अनुसार जिनमें पित्त की अधिकता हो, ऐसे लोगों को या तो ठंडा दूध पीना चाहिए या गर्म करने के पश्चात् ठंडा किया गया दूध पीना चाहिए। अधिक गर्म दूध ऐसे लोगों के लिए उचित नहीं है। ऐसे लोगों को दही और अन्य दुग्ध उत्पादों का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनके शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाएगा। वात प्रकृति के लोगों को गर्म दूध पीना चाहिए। उनके लिए दही का सेवन भी लाभदायक होता है। कफ प्रकृति के लोगों को दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि उनके शरीर में वज़न बढ़ने की प्रकृति होती है, अतः उनके लिए दूध और दुग्ध उत्पादों का सेवन ठीक नहीं है। डॉ. शिखा शर्मा के अनुसार आयुर्वेद की यह सोच इसलिए भी सही है क्योंकि जिन लोगों में कैल्शियम की पथरी, कोलेस्ट्रोल, अम्लीयता, बलगम और अस्थमा की प्रकृति होती है उन्हें डॉक्टर सदा दूध पीने को मना करते हैं।