तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने पहलगाम हमले के बाद केंद्र के रुख की आलोचना की

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कोलकाता, 16 जून (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सोमवार को केंद्र पर जवाबदेही की कमी का आरोप लगाया और सीमा सुरक्षा, विदेश नीति समेत पांच मुद्दों पर सवाल उठाए।

बनर्जी ने ‘एक्स’ पर एक लंबे पोस्ट में दावा किया, ‘‘पहलगाम आतंकी हमले को 55 दिन से अधिक हो चुके हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि लोकतंत्र में, न तो मुख्यधारा का मीडिया, न ही विपक्ष के सदस्य और न ही न्यायपालिका भारत सरकार के समक्ष इन पांच महत्वपूर्ण सवालों को उठाने के लिए आगे आए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, राष्ट्र की भलाई के लिए प्रतिबद्ध एक नागरिक और जवाबदेही वाले एक जनप्रतिनिधि के रूप में, मैं भारत सरकार के समक्ष ये पांच सवाल उठाता हूं।’’

तृणमूल नेता ने सबसे पहले सवाल किया कि कैसे चार भारी हथियारबंद आतंकवादी भारतीय सीमाओं में घुसपैठ करने और एक हमला करने में कामयाब रहे, जिसमें 26 नागरिक मारे गए।

इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा में भारी सेंध’ बताते हुए, बनर्जी ने पूछा कि ‘विफलता’ की जिम्मेदारी कौन लेगा।

उन्होंने आसूचना ब्यूरो (आईबी) पर भी निशाना साधा और सवाल किया कि हमले के एक महीने बाद ही उसके प्रमुख का कार्यकाल एक साल क्यों बढ़ा दिया गया।

बनर्जी ने कहा कि अगर यह खुफिया विफलता थी, तो आईबी प्रमुख को एक साल का सेवा विस्तार क्यों दिया गया, वह भी हमले के बमुश्किल एक महीने बाद? तृणमूल नेता ने कहा कि आईबी प्रमुख को जवाबदेह ठहराने के बजाय पुरस्कृत क्यों किया गया? क्या मजबूरी है?

बनर्जी ने सरकार द्वारा निगरानी तकनीक के ‘चुनिंदा’ तरीके से इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत सरकार विपक्षी नेताओं (मेरे सहित), पत्रकारों और यहां तक ​​कि न्यायाधीशों के खिलाफ पेगासस स्पाइवेयर का आसानी से इस्तेमाल कर सकती है, तो उसे आतंकवादी नेटवर्क और संदिग्धों के खिलाफ वही उपकरण इस्तेमाल करने से कौन रोकता है?’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘इस क्रूरतापूर्ण, धर्म-आधारित नरसंहार के लिए जिम्मेदार चार आतंकवादी कहां हैं? क्या वे मर चुके हैं या जीवित हैं? अगर उन्हें मार गिराया गया है, तो सरकार स्पष्ट बयान देने में विफल क्यों रही है? और अगर नहीं, तो चुप्पी क्यों है?’’

तृणमूल कांग्रेस के डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से सदस्य बनर्जी ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) का मुद्दा भी उठाया और अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कथित बयान पर केंद्र की ‘चुप्पी’ पर भी सवाल उठाया, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने व्यापार के वादों के साथ भारत को युद्ध विराम के लिए राजी किया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) को कब वापस लेगा? सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दावे पर आधिकारिक रूप से जवाब क्यों नहीं दिया कि उन्होंने व्यापार के वादों के साथ भारत को युद्ध विराम के लिए राजी किया?’’

बनर्जी ने कहा कि जिस तरह देश अपनी जाति, पंथ, धर्म और राजनीतिक संबद्धता से परे एक साथ खड़ा था, सत्य की जीत का जश्न मना रहा था और हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को सलाम कर रहा था, ऐसे में 140 करोड़ भारतीयों की भावनाओं की अवहेलना क्यों की गई?

अपने पांचवें और अंतिम प्रश्न में, बनर्जी ने पहलगाम की घटना के बाद सरकार के कूटनीतिक प्रयासों की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक महीने में पहलगाम को लेकर 33 देशों से संपर्क करने के बाद, कितने देशों ने भारत को स्पष्ट समर्थन दिया?’’

बनर्जी ने सवाल किया कि पाकिस्तान को फटकार लगाने के बजाय वैश्विक समर्थन क्यों मिला।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम वाकई विश्वगुरु हैं और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, तो आईएमएफ और विश्व बैंक ने पहलगाम हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान को 1 अरब अमेरिकी डॉलर और 40 अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता और दीर्घकालिक निवेश की मंजूरी क्यों दी? सीमा पार आतंकवाद में बार-बार शामिल एक राष्ट्र न केवल वैश्विक पड़ताल से बच गया, बल्कि उसे पुरस्कृत भी किया गया?’’

उन्होंने कहा, ‘‘और सबसे चौंकाने वाली बात: पाकिस्तान को बमुश्किल एक महीने बाद ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष क्यों नियुक्त किया गया?’’

बनर्जी ने विदेश नीति व्यय पर तीखी टिप्पणी के साथ पोस्ट का समापन किया।

उन्होंने लिखा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में विदेश मामलों पर दो लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। भारतीय जनता पारदर्शिता, जवाबदेही और परिणाम की हकदार है – चुप्पी और इधर-उधर की बातों की नहीं! राष्ट्र जवाब का इंतजार कर रहा है।’’

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