गर्मी अपनी रंगत दिखाने लगी है। दोपहर में जहां लोगों को चिलचिलाती धूप का सामना करना पड़ रहा है, वहीं रात का समय ठंडे झोकों से आबाद रहता है। ऐसे में अगर आप सुबह सबेरे उनींदे-अलसाये उठें और बुखार जैसा शरीर में दर्द महसूस हो तो इसके लिए मौसम के मिजाज को ही कुसूरवार मानें। अब रातें छोटी तथा दिन बड़े होने लगे हैं। इस बदलते मौसम से शरीर की प्रणाली पर विपरीत असर पड़ता है। चूंकि रात छोटी होने लगी है, इसलिए हमारे सोने का ढंग प्रभावित होता है, जिससे शरीर इस दबाव के अनुकूल खुद को ढालना शुरू कर देता है। दिन रात में आये इस बदलाव से लोगों को ठीक से नींद भी नहीं आ रही है। नींद से शरीर को आराम मिलता है जिससे जब हम सुबह उठते हैं तो खुद को तरोताजा महसूस करते हैं और शरीर में एक नयी ऊर्जा की अनुभूति होती है। नींद यदि पूरी नहीं हुई तो इसका असर उल्टा होगा। इस मौसम में बड़ी तादाद में अदृश्य परागकण वातावरण में मौजूद रहते हैं जो नाक के रास्ते श्वासनली में प्रवेश कर जाते हैं जिससे तरह-तरह की एलर्जी हो जाती है। कुछ एलर्जी छींक, हल्की सर्दी और बुखार आदि के रूप में सामने दिखायी देती है जबकि कुछ एलर्जी दिखाई तो नहीं देती लेकिन आलस, भारीपन एवं सुस्ती के लिए जिम्मेदार होती है। इस मौसम में तापमान बदलता है जिसका दबाव शरीर में आलस पैदा करता है। चूंकि इस समय गर्म दिन और ठंडी रात रहती है शरीर वातावरण के तापमान में वृद्धि के अनुकूल खुद को ढालने की कोशिश करता है। शरीर को दुरूस्त रखने के लिए पसीने की भी जरूरत होती है इन दिनों में सही पहनावा भी बहुत जरूरी है। यदि शरीर से पर्याप्त पसीना नहीं निकला तो सुस्ती महसूस होती रहती है। मौसम के बदले मिजाज से सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच वायरल, बुखार सहित अन्य मौसमी बीमारियां दस्तक देती हैं। ऐसे मौसम में बीमारियों से बचना व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के बल पर आदमी ऐसे मौसम में वायरल बुखार, गले में संक्रमण, सिर दर्द एवं श्वसन से बंधी बीमारियों से बच सकता है। चूंकि दिन में गर्मी हो रही है इसलिए लोग बाहर निकलते समय कम कपड़े पहनते हैं। यह शरीर के लिए नुकसानदेह होता है।