भाजपा से ‘ए-प्लस’ प्रचार अभियान की उम्मीद थी, देखने को मिला ‘बी-माइनस’: गौरव गोगोई

नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने लोकसभा चुनाव में असम के जोरहाट से अपनी शानदार जीत के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ‘ए प्लस’ (सर्वोत्तम) स्तर के विरोधी प्रचार की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें ‘बी-माइनस’ (निम्न) स्तर के प्रचार अभियान का ही सामना करना पड़ा।

उनका यह भी दावा है कि जोरहाट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे और अभियान का बहुत कम प्रभाव पड़ा।

गोगोई ने नए परिसीमन के बाद पुनगर्ठित निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के तपन गोगोई के खिलाफ 1.44 लाख मतों के अंतर से जीतकर अपने प्रशंसकों और विरोधियों दोनों को आश्चर्यचकित कर दिया। गोगोई का कहना है कि मुश्किल माने जा रहे इस क्षेत्र में उन्हें प्रचार अभियान और जनसंपर्क के लिए सिर्फ एक महीने का समय मिल पाया था।

असम की 14 लोकसभा सीट में से कांग्रेस पार्टी को केवल तीन सीट मिली हैं जिनमें जोरहाट भी एक है। भाजपा ने नौ सीट जीती हैं।

समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ के मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में गोगोई ने कहा कि लोगों को राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भाजपा शासन के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए कांग्रेस में एक विश्वसनीय मंच मिला।

उनका कहना था, ‘‘असम में मैंने भाजपा द्वारा बहुत ही निराशाजनक और कमजोर प्रचार अभियान देखा। मैं भाजपा से बहुत अधिक सशक्त, सार्थक, प्रभावशाली अभियान की उम्मीद कर रहा था और मेरी योजना भी उसी के मुताबिक बनी थी। मैंने ‘ए-प्लस’ वाली भाजपा को ध्यान में रखकर योजना बनाई थी लेकिन मेरा सामना ‘बी-माइनस’ प्रचार अभियान से हुआ। ’’

गोगोई ने कहा कि उन्होंने मोदी का प्रभाव नहीं देखा, हालांकि प्रधानमंत्री ने चुनाव के दौरान दो बार जोरहाट का दौरा किया था।

उनके मुताबिक, ‘‘मुझे इस बात पर बेहद आश्चर्य हुआ कि (भाजपा की तरफ से) एक भी मुद्दा ऐसा नहीं था जो लोगों को पसंद आए।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पिछले दो चुनावों में यह काफी अलग था। 2014 में असम के लोग गुजरात मॉडल के बारे में बात कर रहे थे और 2019 में वे (राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े) उन घटनाक्रमों से प्रभावित हुए और उनका चुनाव पर असर हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन 2024 में यह एक बहुत ही स्थानीय चुनाव था। लोग स्थानीय मुद्दों, राज्य के मुद्दों को देख रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी और उनके अभियान का कोई प्रत्यक्ष, ठोस असर नहीं था।’’

गोगोई का कहना था कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों में भाजपा सरकार के खिलाफ असंतोष था तथा यह असंतोष असम एवं केंद्र सरकार दोनों के खिलाफ था।

गोगोई ने कहा कि कई कारणों से जोरहाट भाजपा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उनकी अपनी राजनीतिक योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव था।

उनके अनुसार, ‘‘हमारी जीत के कई महत्वपूर्ण कारण हैं। कांग्रेस ने लोगों का विश्वास हासिल किया क्योंकि उनमें असंतोष था। जो बातें उत्तर प्रदेश, राजस्थान में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ गईं… वही असम में काम आईं।’’

गोगोई का पिछला निर्वाचन क्षेत्र कालियाबोर था जिसका उन्होंने 2014 से दो बार प्रतिनिधित्व किया था। निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में नहीं रहा और कालियाबोर का नाम बदलकर काजीरंगा कर दिया गया।

जोरहाट से चुनाव लड़ने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कहना होगा कि यह एक कठिन चुनाव था। असम के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में से मेरा निर्वाचन क्षेत्र जनसांख्यिकी और भूगोल के हिसाब से सबसे अधिक बदल गया था। परिसीमन के कारण हर दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव आया।’’

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई पिछली लोकसभा में सदन में कांग्रेस के उप नेता थे।